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This Article is From Aug 19, 2011

रिव्यू : 'चतुर सिंह...' को महज 1 स्टार

लगता है संजय दत्त के कैरेक्टर की स्किन में डाइरेक्टर और राइटर उतर गए, तभी इतनी लाऊड और नॉनसेंस कॉमेडी बनाई।
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Mumbai: 'चतुर सिंह टू स्टार' तीन साल पहले ही बनकर तैयार थी। कहानी है पुलिस इंस्पेक्टर चतुर सिंह की जो खुद को टॉप लेवल का जासूस समझता है, लेकिन उसके बेवकूफी भरे जासूसी मिशन से पुलिस डिपार्टमेंट को शर्मिंदा होना पड़ता है। इस बार चतुर सिंह पहुंचता है साउथ अफ्रीका, एक मंत्री की हत्या और हत्या के आरोप में फंसी प्रेमिका को निकालने के लिए। संजय दत्त नॉनसेंस कॉप चतुर सिंह के किरदार में हैं, लेकिन लगता है उनके कैरेक्टर की स्किन में डाइरेक्टर और राइटर उतर गए, तभी इतनी लाऊड और नॉनसेंस कॉमेडी बनाई। चतुर सिंह खुद को जेबकतरा बताकर भीड़ से पिटता है। बात करते वक्त उसकी मूंछ ऊपर-नीचे होती रहती है। हीरोईन किडनैपर्स से गुज़ारिश करती है कि उसके जीजा को प्रोटीन शेक पिलाते रहें। बीच-बीच में चतुर सिंह को फिरंगी लड़कियों और साड़ी का पल्लू गिराती संभालती अमीषा पटेल के साथ डांस करने की फुर्सत मिल जाती है। लेकिन जब पुलिस इंस्पेक्टर अपने कमिश्नर की कमर पर इंजेक्शन ठोंक देते हैं, तब हंसी नही रुकती। बीमार मंत्री का साला कहता है कि जीजाजी चींटी की सीटी कहती है कि आपको एड्स है। चतुर सिंह की इससे ज्यादा बुराई करने का स्टेमिना मुझमें नहीं है। डायरेक्टर अजय चांडोक की इस फिल्म को सिर्फ 1 स्टार।

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