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'इशकज़ादे' अपने आप में बड़ा मजेदार सफर है। अमित त्रिवेदी के बेहतरीन म्यूजिक की चाशनी में डूबकर लवर्स जानलेवा नफरत दिखाते हैं और जुनून की हद तक प्यार भी करते हैं।
डायरेक्टर, स्क्रीनप्लेराइटर और डायलॉग राइटर हबीब फैसल ने 'इशकजादे' में बहुत ही स्ट्रांग करेक्टर्स और सीन क्रिएट किए। जोया बोल्ड लड़की है जो बैखोफ तमंचे चलाती है। गुस्सैल इतनी कि सिर पर बंदूक तनी हो फिर भी दुश्मन से माफी मांगने की जिद करती है। परमा आवारा और दिलेर लड़का है जो बदले के लिए किसी भी हद तक चला जाता है। नफरत और इश्क के ये दो रंग परिणिती चोपड़ा और अर्जुन कपूर ने खूब दिखाए। खासकर परिनीति की एक्टिंग की तो दाद देनी पड़ेगी।
'इशकजादे' में हबीब फैसल ने देहात से शहर में बदलते इलाके की मामूली बारीकियां दिखाईं। बेटा तब भी मुंह नहीं खोलता जब दादा मां को गोली मार देता है। तवायफ के नाच के लिए जेनरेटर और डीजल के जुगाड़, बात-बात पर गोली चलने...और खानदानी इज्जत के लिए मर मिटने के सीन्स आपको ठेठ यूपी ले जाएंगे। अमित त्रिवेदी का बेहतरीन म्यूजिक के बीच फैसल के मजेदार डायलॉग्स हंसाएंगे भी।
हालांकि सेकेंड हाफ में ब्रोथल से लेकर केमिस्ट्री लैब में फिल्म थोड़ी स्लो पड़ती दिखती है। गोलीबारी के लम्बे सीन्स के बीच पुलिस कही नहीं दिखती लेकिन क्लाईमैक्स फिर दिल को छू लेता है। जरूर देखिए 'इशकजादे'। अर्बन यूथ की फिल्मों के बीच देहाती इलाकों से भी क्या कहानियां निकलती हैं। 'इशकजादे' के लिए मेरी रेटिंग है 4 स्टार।
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