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This Article is From Aug 31, 2011

ये 'बॉडीगार्ड' तो पूरी आर्मी के बराबर

New Delhi: 'बॉडीगार्ड' लवली सिंह को उसका भगवान समान मालिक अपनी बेटी दिव्या यानी करीना कपूर की हिफाज़त का जिम्मा सौंपता है जिस पर जान का खतरा है। अब ये बॉडीगार्ड तो पूरी आर्मी के बराबर है क्योंकि इस रोल में सलमान हैं। ये वफादार है क्लास से लेकर वॉशरूम तक मालिकन की रक्षा करता है। कॉमेडी करता है, डांस करता है डोले शोले दिखाता है। दुश्मन को गारंटी से मारता है और फिर दमदार डायलॉग मारता है कि मुझ पर एक एहसान करना कि मुझ पर कोई एहसान ना करना। 'बॉडीगार्ड' से पीछा छुड़ाने के लिए दिव्या आवाज बदलकर छाया के नाम से उसे फोन करती है। बातों-बातों में बॉडीगार्ड को छाया से प्यार हो जाता है। रोमांस का ये एंगल तो होना ही था लेकिन उम्मीद बेहतर फिल्म की थी। कुछ मूवमेंट्स में ही सलमान की कॉमेडी हंसाती है और एक्शन जोश दिलाता है। डायरेक्टर सिद्दीकी की 'बॉडीगार्ड' ढीली स्क्रिप्ट के साथ आगे बढ़ती है। एक भारी भरकम करेक्टर तो बहुत एंटरटेनिंग है। तेरी मेरी प्रेम कहानी जैसे गाने को छोड़कर म्यूज़िक में भी दम नहीं है।  हालांकि सलमान ने अपनी ओर से फैन्स को खुश करने की पूरी कोशिश की। फव्वारे की तेज़ धार से उनकी शर्ट उतरती है और वो 'दबंग' स्टाइल में दुश्मन को मौत के घाट उतारते हैं। प्यार में मासूम ये 'बॉडीगार्ड' अपनी मालकिन को गले भी लगाता है तो पीठ की ओर से हो रहे वार से बचाने के लिए। आखिरी आधे घंटे में जान है। क्लाइमैक्स इमोशनल और घुमावदार है जिसमें सलमान और करीना सारी सहानुभूति लूट ले जाते हैं। फिल्म डायहार्ड सलमान फैन्स के लिए है। मैं 'बॉडीगार्ड' को 'वॉन्टेड' और 'दबंग' से नीचे रखूंगा और 'रेडी' से ऊपर। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार। 

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रिव्यू, बॉडीगार्ड, विजय दिनेश विशिष्ठ
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