फिल्म 'दंगल' का एक दृश्य
नई दिल्ली:
2014 में आई फिल्म 'पीके' के बाद आमिर खान की अगली फिल्म 'दंगल' है. यह आमिर की पहली स्पोर्ट्स बायोपिक होगी, जो इस शुक्रवार को रिलीज होने जा रही है. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से आमिर क्रिसमस के मौके पर बॉक्स ऑफिस पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं, जबकि सलमान खान ईद पर और शाहरुख दीवाली पर एक बड़ी फिल्म लेकर आते हैं.
बता दें, आमिर की 'दंगल' पहलवान महावीर फोगट पर आधारित है, जिसमें आमिर ने महावीर का किरदार निभाया है. महावीर फोगट की चार बेटियां हैं जिनमें गीता सबसे बड़ी हैं. महावीर फोगट ने अपनी बेटियों को पहलवानी सिखाई और आज उनकी बेटियां गीता और बबीता अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुश्ती चैम्पियन हैं. गीता और बबिता फोगट 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला कुश्ती में भारत के लिए पदक जीत चुकी हैं.
वैसे तो फिल्म कल (शुक्रवार) रिलीज होने वाली है, लेकिन उससे पहले हम आपके लिएप 'दंगल' के ट्रेलर से निकालआइए पढ़ते हैं 'दंगल' में आमिर खान द्वारा बोले गए ये पांच दमदार डायलॉग...
1. मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है प्यार से, लगन से मेहनत से...
2. हर खिलाड़ी की तरह मेरा भी एक सपना था, देश के लिए गोल्ड मेडल लाना. जो मैं करना चाहता था वो मेरा बेटा करके दिखावेगा. अपना तिरंगा सबसे ऊपर लहरावेगा.
3. मैं हमेशा ये सोचके रोता रहा कि छोरा होता तो देश के लिए गोल्ड लाता. ये बात मेरे समझ में न आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी.
4. अगर सिल्वर जीती तो आज नहीं तो कल तन्ने लोग भूल जावेंगे, गोल्ड जीती तो मिसाल बन जावेगी और मिसालें दी जाती हैं बेटा, भूली नहीं जाती.
5. पहलवानी तो छोरे करे हैं, तो म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के.
बता दें, आमिर की 'दंगल' पहलवान महावीर फोगट पर आधारित है, जिसमें आमिर ने महावीर का किरदार निभाया है. महावीर फोगट की चार बेटियां हैं जिनमें गीता सबसे बड़ी हैं. महावीर फोगट ने अपनी बेटियों को पहलवानी सिखाई और आज उनकी बेटियां गीता और बबीता अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुश्ती चैम्पियन हैं. गीता और बबिता फोगट 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला कुश्ती में भारत के लिए पदक जीत चुकी हैं.
वैसे तो फिल्म कल (शुक्रवार) रिलीज होने वाली है, लेकिन उससे पहले हम आपके लिएप 'दंगल' के ट्रेलर से निकालआइए पढ़ते हैं 'दंगल' में आमिर खान द्वारा बोले गए ये पांच दमदार डायलॉग...
1. मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है प्यार से, लगन से मेहनत से...
2. हर खिलाड़ी की तरह मेरा भी एक सपना था, देश के लिए गोल्ड मेडल लाना. जो मैं करना चाहता था वो मेरा बेटा करके दिखावेगा. अपना तिरंगा सबसे ऊपर लहरावेगा.
3. मैं हमेशा ये सोचके रोता रहा कि छोरा होता तो देश के लिए गोल्ड लाता. ये बात मेरे समझ में न आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी.
4. अगर सिल्वर जीती तो आज नहीं तो कल तन्ने लोग भूल जावेंगे, गोल्ड जीती तो मिसाल बन जावेगी और मिसालें दी जाती हैं बेटा, भूली नहीं जाती.
5. पहलवानी तो छोरे करे हैं, तो म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के.
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