फिल्म के एक सीन में कंगना रनौत और सैफ अली खान.
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'रंगून' में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एक प्रेम त्रिकोण दिखाया गया है
फिल्म का संगीत भी डायरेक्टर विशाल भारद्वाज ने ही दिया है
इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं 3 स्टार्स
अब बात करते हैं इस फिल्म की खामियों और खूबियों की.
इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है इसकी कहानी. फिल्म की कहानी उतनी ताकतवर नहीं है जितना उसे होना चाहिए था. फिल्म का पहला हिस्सा काफी हल्का लगता है और स्क्रिप्ट और कहानी में झोल साफ नजर आता है. फिल्म में काफी तामझाम है जैसे यहां सेट्स काफी बड़ा है, उसपर काफी मेहनत है लेकिन इस सब में कहानी कहीं खो जाती है. इसके अलावा फिल्म की दूसरी सबसे बड़ी कमी है उसका स्क्रीन प्ले जो काफी कमजोर है. यही कारण है कि फिल्म के पहले हिस्से में दर्शक किरदारों से जुड़ ही नहीं पाते. इसके साथ ही इस फिल्म की एक और सबसे बड़ी कमजोरी है इसके स्पेशल इफेक्ट्स. फिल्म में कई जगह यह इफेक्ट्स पूरी तरह से नकली लगते हैं. एक्टिंग की बात करें तो भी इंटरवेल के पहले हिस्से में कोई एक्टर कुछ कमाल नहीं कर पाए हैं. हालांकि अपने-अपने किरदार में कंगना, सैफ और शाहिद अच्छे हैं लेकिन इनके किरदारों में वह प्रभाव नजर नहीं आता है.


फिल्म का दूसरा हिस्सा काफी अच्छा है जिसमें सैफ की मोहब्बत कंगना के लिए और कंगना की मोहब्बत शाहिद के लिए साफ नजर आती है. इस फिल्म में कंगना और सैफ के बीच तलवार बाजी का एक सीन काफी प्रभावशाली है. दूसरे हिस्से में तीनों की किरदारों की एक्टिंग काफी अच्छी.
कहा जाए तो यह फिल्म एक ऐसा मिठाई का डिब्बा है जिसकी पैकेजिंग काफी खूबसूरत और दमदार है लेकिन इसकी अंदर की मिठाई उतनी अच्छी नहीं है. मेरी तरह से इस फिल्म को 3 स्टार्स मिलते हैं.
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