'प्रेम रतन धन पायो' के दृश्य से ली गई तस्वीर...
फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' की कहानी राजा-महाराजा के समय की है, जिसे आज के दौर के हिसाब से बनाया गया है। कहानी ज्यादा नहीं बता सकते वरना मजा खराब हो जाएगा। बस यह जान लीजिए की सलमान खान की दोहरी भूमिका है, जिसमें एक राजा बने हैं तो दूसरी भूमिका प्रेम की है। सोनम राजकुमारी की भूमिका में हैं।
फिल्म में संस्कार और रिश्तों की मिठास
आमतौर पर जब हम सलमान की फिल्म देखते हैं तो कहते हैं कि सम्पूर्ण तौर पर सलमान की फिल्म है मगर 'प्रेम रतन धन पायो' देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सलमान की फिल्म नहीं, निर्देशक सूरज बड़जात्या की फिल्म है, क्योंकि यह न सिर्फ पारिवारिक फिल्म है बल्कि वैसे ही संस्कार, परिवार के लिए कुर्बानी, रिश्तों की मिठास और चित्रहार की तरह ढेर सारे गाने हैं।
विशाल सेट बेहद खूबसूरत लग रहे हैं
निर्देशक सूरज बड़जात्या ने एक बड़े कैनवास की फिल्म बनाई है। बहुत ही विशाल सेट, जिसे राज महल की तरह दिखाया गया है। सुंदर और अद्भुत दृश्य हैं, शानदार लाइटिंग, बेहतरीन लोकेशन और अच्छी सिनेमेटोग्राफी है। इन सबके बीच से गुजरती हुई कहानी में कहीं-कहीं हल्के-फुल्के हंसाने वाले दृश्य हैं। कुछ बेहतरीन इमोशनल सीन हैं और साथ में कुछ एक्शन भी। कुछ अच्छे अभिनय भी हैं, फिल्म में। यानी सूरज बड़जात्या की फिल्मों में परिवार की कहानी जिस तरह हंसते-रोते आगे बढ़ती है वैसी ही है 'प्रेम रतन धन पायो' भी।
जरूरत से ज्यादा लंबी है फिल्म
अगर फिल्म के दूसरे पहलू पर रोशनी डालें तो यह जरूरत से ज्यादा लंबी है। जरूरत से ज्यादा गाने हैं। फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य हैं, जो कुछ ज्यादा ड्रामेटिक हैं और इन्हें देखकर बगल झांकने का मन करता है और आज के दौर में आमतौर पर ऐसे सीन को दर्शक कम ही पसंद करते हैं।
पारिवारिक फिल्म है 'प्रेम रतन धन पायो'
मैं ये नहीं कहता कि 'प्रेम रतन धन पायो' की कहानी बहुत कमाल है या नई है, मगर यह कह सकता हूं कि यह एक पारिवारिक फिल्म है और आज के दौर में आज के दर्शकों के बीच सूरज बड़जात्या ने एक साफ-सुथरी फिल्म बनाने की कोशिश की है। फिल्म को 3 स्टार।
फिल्म में संस्कार और रिश्तों की मिठास
आमतौर पर जब हम सलमान की फिल्म देखते हैं तो कहते हैं कि सम्पूर्ण तौर पर सलमान की फिल्म है मगर 'प्रेम रतन धन पायो' देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सलमान की फिल्म नहीं, निर्देशक सूरज बड़जात्या की फिल्म है, क्योंकि यह न सिर्फ पारिवारिक फिल्म है बल्कि वैसे ही संस्कार, परिवार के लिए कुर्बानी, रिश्तों की मिठास और चित्रहार की तरह ढेर सारे गाने हैं।
विशाल सेट बेहद खूबसूरत लग रहे हैं
निर्देशक सूरज बड़जात्या ने एक बड़े कैनवास की फिल्म बनाई है। बहुत ही विशाल सेट, जिसे राज महल की तरह दिखाया गया है। सुंदर और अद्भुत दृश्य हैं, शानदार लाइटिंग, बेहतरीन लोकेशन और अच्छी सिनेमेटोग्राफी है। इन सबके बीच से गुजरती हुई कहानी में कहीं-कहीं हल्के-फुल्के हंसाने वाले दृश्य हैं। कुछ बेहतरीन इमोशनल सीन हैं और साथ में कुछ एक्शन भी। कुछ अच्छे अभिनय भी हैं, फिल्म में। यानी सूरज बड़जात्या की फिल्मों में परिवार की कहानी जिस तरह हंसते-रोते आगे बढ़ती है वैसी ही है 'प्रेम रतन धन पायो' भी।
जरूरत से ज्यादा लंबी है फिल्म
अगर फिल्म के दूसरे पहलू पर रोशनी डालें तो यह जरूरत से ज्यादा लंबी है। जरूरत से ज्यादा गाने हैं। फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य हैं, जो कुछ ज्यादा ड्रामेटिक हैं और इन्हें देखकर बगल झांकने का मन करता है और आज के दौर में आमतौर पर ऐसे सीन को दर्शक कम ही पसंद करते हैं।
पारिवारिक फिल्म है 'प्रेम रतन धन पायो'
मैं ये नहीं कहता कि 'प्रेम रतन धन पायो' की कहानी बहुत कमाल है या नई है, मगर यह कह सकता हूं कि यह एक पारिवारिक फिल्म है और आज के दौर में आज के दर्शकों के बीच सूरज बड़जात्या ने एक साफ-सुथरी फिल्म बनाने की कोशिश की है। फिल्म को 3 स्टार।
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