नई दिल्ली:
अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन में बनी फिल्म 'फिलौरी' की कहानी में एक साथ 2 लव स्टोरी चलती हैं. एक तरफ आज के युवा कनन और अनु की कहानी है जिसमें कनान प्यार तो करता है पर वो शादी से थोड़ा घबरा रहा है. जैसा कि आज की युवा पीढ़ी में अक्सर देखा जाता है. वहीं दूसरी कहानी है रूप लाल फिलौरी और शशि फिलैरी की जो करीब 98 साल पहले यानी सन 1919 के एक जोड़े की कहानी है. रूप लाल फिलौरी का किरदार दिलजीत दोसांझ निभा रहे हैं और शशि फिल्लौरी अनुष्का शर्मा बनी हैं.
इस फिल्म में कनन एक मांगलिक लड़का हैं जिसकी शादी से पहले एक पेड़ से शादी की जाती है. शादी के बाद इस पेड़ को काट दिया जाता है जहां से भूत शशि यानी अनुष्का शर्मा, कनन के साथ हो लेती हैं क्योंकि शशि का मानना है कि उनकी शादी अब कनन से हो गई है. इस फिल्म में शशि भले ही भूत बनी हैं लेकिन यह डरावनी भूत नहीं हैं. लेकिन इस पेड़ से हुई शादी के चलते यह दोनों कहानियां आपस में जुड़ जाती हैं. अब यह भूत इस शादी में क्या धमाल मचाता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
'फिलौरी' में पंजाबियों की शादी के माहौल को काफी अच्छे से दर्शाया गया है. अनुष्का और दिलजीत की जोड़ी अच्छी लगी है और इनका अभिनय भी बेहतरीन है. कनन और अनु की भूमिका में सूरज शर्मा और माहरीन पीरज़ादा भी फिट हैं. साथ ही आजादी से पहले किस तरह अच्छे लोग गाने बजाने को बुरा समझते थे जैसी स्थिति को काफी सटीक तरीके से फिल्माया गया है. इस फिल्म में आपको कई अच्छे इमोशनल सीन देखने को मिलेंगे. इस फिल्म का पहला भाग हंसी मजाक वाला है. 'फिलौरी' में आपको स्पेशल इफेक्ट्स काफी अच्छे देखने को मिलेंगे. संगीत में सूफियाना रंग है.
फिल्म की कमजोर चीजों की बात करें तो सबसे पहली बात ये की 'फिलौरी' की रफ्तार थोड़ी धीमी है. बतौर निर्माता अनुष्का शर्मा ने कुछ अलग करने की कोशिश जरूर की है, सुनने में इसका विषय भी अच्छा है मगर कहानी कहने का तरीका कमजोर पड़ गया है क्योंकि फिल्म जिस तरह से फ्लैशबैक में आती जाती है उसका परिवर्तन उतना सहज नहीं है. ऐसा लगता है कि फिल्म के कुछ पल लंबे खिंच जाते हैं. 'फिलौरी' का विषय, संगीत और प्रोडक्शन क्वालिटी को देखते हुए इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं 3 स्टार.
इस फिल्म में कनन एक मांगलिक लड़का हैं जिसकी शादी से पहले एक पेड़ से शादी की जाती है. शादी के बाद इस पेड़ को काट दिया जाता है जहां से भूत शशि यानी अनुष्का शर्मा, कनन के साथ हो लेती हैं क्योंकि शशि का मानना है कि उनकी शादी अब कनन से हो गई है. इस फिल्म में शशि भले ही भूत बनी हैं लेकिन यह डरावनी भूत नहीं हैं. लेकिन इस पेड़ से हुई शादी के चलते यह दोनों कहानियां आपस में जुड़ जाती हैं. अब यह भूत इस शादी में क्या धमाल मचाता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
'फिलौरी' में पंजाबियों की शादी के माहौल को काफी अच्छे से दर्शाया गया है. अनुष्का और दिलजीत की जोड़ी अच्छी लगी है और इनका अभिनय भी बेहतरीन है. कनन और अनु की भूमिका में सूरज शर्मा और माहरीन पीरज़ादा भी फिट हैं. साथ ही आजादी से पहले किस तरह अच्छे लोग गाने बजाने को बुरा समझते थे जैसी स्थिति को काफी सटीक तरीके से फिल्माया गया है. इस फिल्म में आपको कई अच्छे इमोशनल सीन देखने को मिलेंगे. इस फिल्म का पहला भाग हंसी मजाक वाला है. 'फिलौरी' में आपको स्पेशल इफेक्ट्स काफी अच्छे देखने को मिलेंगे. संगीत में सूफियाना रंग है.
फिल्म की कमजोर चीजों की बात करें तो सबसे पहली बात ये की 'फिलौरी' की रफ्तार थोड़ी धीमी है. बतौर निर्माता अनुष्का शर्मा ने कुछ अलग करने की कोशिश जरूर की है, सुनने में इसका विषय भी अच्छा है मगर कहानी कहने का तरीका कमजोर पड़ गया है क्योंकि फिल्म जिस तरह से फ्लैशबैक में आती जाती है उसका परिवर्तन उतना सहज नहीं है. ऐसा लगता है कि फिल्म के कुछ पल लंबे खिंच जाते हैं. 'फिलौरी' का विषय, संगीत और प्रोडक्शन क्वालिटी को देखते हुए इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं 3 स्टार.
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