फिल्म 'पिंक' और 'देट डे आफ्टर इव्री डे' के सीन.
नई दिल्ली:
12 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के पॉश इलाके में चलती बस में हुए सामूहिक बलात्कार ने देश की राजधानी को हिला कर रख दिया. महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के प्रति लोगों में बढ़ रहे गुस्से को जैसे इस घटना ने आखिरी उबाल दे दिया और दिल्ली से लेकर देश के हर इलाके में इस गुस्से का लावा फैलना शुरू हो गया. 5 साल पहले हुई इस घटना के आरोपियों को फांसी की सजा होगी या नहीं, यह आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा. गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी. दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी.
लेकिन इस बीच इस घटना के बाद भारतीय सिनेमा ने कई रूप से निर्भया की चीख को एक 'आवाज' देने की कोशिश की है. कई फिल्मों ने महिलाओं की मर्जी जैसे विषय को प्रमुखता से सामने रखा तो कुछ फिल्में महिलाओं के प्रति समाज के दोहरे नजरिए को सामने लायीं. हम आपको कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर अपने नजरिए को सामने रखा.
इंडियाज डॉटर- बीबीसी डॉक्यूमेंट्री (2015)
17 दिसंबर 2012 की रात को हुए इस बलात्कार की घटना ने पूरी दुनिया के मीडिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. इस गैंग रेप की घटना पर 'इंडियाज डॉटर' नाम की डॉक्यूमेंट्री लेस्ली उडविन ने बनाई और इसे बीबीसी द्वारा प्रसारित किया गया था. इस डॉक्यूमेंट्री में बलात्कारियों के भी बयान लिए गए थे. इसे 8 मार्च को अतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रिलीज किया जाना था. लेकिन इसके प्रोमो में सामने आए इसके कंटेंट और चार बलात्कारियों में से एक, मुकेश के इंटरव्यू में दिए गए बायानों के चलते भारत में बैन कर दिया गया था. हालांकि उडविन का दावा था कि उन्होंने इसके लिए तिजाड़ जेल के डायरेक्टर जनरल की इजाजत ली थी. इसे भारत के अलावा दुनियाभर में 4 मार्च, 2015 को रिलीज किया गया.
मातृ (2017)
हाल ही में रिलीज हुई 'मातृ' का निर्देशन डेब्युटेन्ट डायेरेक्टर अश्तर सैय्यद ने किया है और इस फिल्म को माइकल पेलिको ने लिखा है. 'मातृ' एक मां के बदले की कहानी है, जिसकी बेटी का बलात्कार उसकी आंखों के सामने हो जाता है. जिसके बाद वह अपनी भावनाओं को संभालती हुई, पारिवारिक समस्याओं से जूझती हुई और सिस्टम से लोहा लेते हुए एक मां किस तरह सत्ता में बैठे दबंगों को बदले की आग में भस्म कर देती है यही फिल्म 'मातृ' की कहानी है. इस फिल्म को सेंसर बोर्ड शुरुआत में सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था और यह फिल्म बैन हो गई थी. जिसके बाद इसे फिल्म बोर्ड की रिविजन कमेटी के पास पुनर्विचार के लिए भेजी गई थी, जहां से इसे हरी झंडी मिली.
देट डे आफ्टर इव्रीडे (2013)
अनुराग कश्यप द्वारा बनाई गई यह शॉर्ट फिल्म इंटरनेट पर आते ही वायरल हो गई. इस फिल्म में ईव टीजिंग जैसे मुद्दे को उठाय गया है. डायरेक्टर अनुराग कश्यप की इस फिल्म में राधिका आप्टे दमदार अभिनय करते हुए नजर आई हैं. फिल्म राधिका आप्टे एक कामकाजी महिला के तौर पर दिखायी गई हैं जिन्हें घर से दफ्तर के बीच हर रोज छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है. यही उनकी सहेलियों के साथ भी होता है. आखिरकार यह तीनों महिलाएं इन छेड़छाड़ करने वाले लड़कों का सामना करने की हिम्मत दिखाती हैं.
पिंक (2016)
पिछले साल रिलीज हुई अमिताभ बच्चन और तापीस पन्नू की इस फिल्म ने देश भर में वाहवाही लूटी. पिंक महिलाओं के पहनावे को उनके साथ होने वाली घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताने वाली मानसिकता पर गहरा प्रहार किया गया था. यह फिल्म तीन मॉर्डन लड़कियों की कहानी है जिनके साथ उनके जानकार कुछ लड़के जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं और अदालत के सामने इसके लिए इनके रहन-सहन को जिम्मेदार बताया जाता है. इस फिल्म को इस साल के नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में सामाजिक मुद्दे पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चुना गया.
एंग्री इंडियन गॉडेस (2015)
निर्देशक पान नलिन की इस फिल्म में सात महिलाओं की कहानी दिर्ख गई है. इस फिल्म को 2015 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया गया जहां से इसे पीपल्स चॉइस अवॉर्ड के लिए चुना गया. इस फिल्म को दुनियाभर में तारीफें मिली. फिल्म में बलात्कार, महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह प्रदर्शित करना, लैंगिक समानता जैसे कई विषयों को एक साथ उठाया गया था. फिल्म में तनिष्ठा चटर्जी, संध्या मृदुल, सारा जेन डायस, अनुष्का मनचंदा, राजश्री देशपांडे आदि कलाकार नजर आए.
लेकिन इस बीच इस घटना के बाद भारतीय सिनेमा ने कई रूप से निर्भया की चीख को एक 'आवाज' देने की कोशिश की है. कई फिल्मों ने महिलाओं की मर्जी जैसे विषय को प्रमुखता से सामने रखा तो कुछ फिल्में महिलाओं के प्रति समाज के दोहरे नजरिए को सामने लायीं. हम आपको कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर अपने नजरिए को सामने रखा.
इंडियाज डॉटर- बीबीसी डॉक्यूमेंट्री (2015)
17 दिसंबर 2012 की रात को हुए इस बलात्कार की घटना ने पूरी दुनिया के मीडिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. इस गैंग रेप की घटना पर 'इंडियाज डॉटर' नाम की डॉक्यूमेंट्री लेस्ली उडविन ने बनाई और इसे बीबीसी द्वारा प्रसारित किया गया था. इस डॉक्यूमेंट्री में बलात्कारियों के भी बयान लिए गए थे. इसे 8 मार्च को अतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रिलीज किया जाना था. लेकिन इसके प्रोमो में सामने आए इसके कंटेंट और चार बलात्कारियों में से एक, मुकेश के इंटरव्यू में दिए गए बायानों के चलते भारत में बैन कर दिया गया था. हालांकि उडविन का दावा था कि उन्होंने इसके लिए तिजाड़ जेल के डायरेक्टर जनरल की इजाजत ली थी. इसे भारत के अलावा दुनियाभर में 4 मार्च, 2015 को रिलीज किया गया.
मातृ (2017)
हाल ही में रिलीज हुई 'मातृ' का निर्देशन डेब्युटेन्ट डायेरेक्टर अश्तर सैय्यद ने किया है और इस फिल्म को माइकल पेलिको ने लिखा है. 'मातृ' एक मां के बदले की कहानी है, जिसकी बेटी का बलात्कार उसकी आंखों के सामने हो जाता है. जिसके बाद वह अपनी भावनाओं को संभालती हुई, पारिवारिक समस्याओं से जूझती हुई और सिस्टम से लोहा लेते हुए एक मां किस तरह सत्ता में बैठे दबंगों को बदले की आग में भस्म कर देती है यही फिल्म 'मातृ' की कहानी है. इस फिल्म को सेंसर बोर्ड शुरुआत में सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था और यह फिल्म बैन हो गई थी. जिसके बाद इसे फिल्म बोर्ड की रिविजन कमेटी के पास पुनर्विचार के लिए भेजी गई थी, जहां से इसे हरी झंडी मिली.
देट डे आफ्टर इव्रीडे (2013)
अनुराग कश्यप द्वारा बनाई गई यह शॉर्ट फिल्म इंटरनेट पर आते ही वायरल हो गई. इस फिल्म में ईव टीजिंग जैसे मुद्दे को उठाय गया है. डायरेक्टर अनुराग कश्यप की इस फिल्म में राधिका आप्टे दमदार अभिनय करते हुए नजर आई हैं. फिल्म राधिका आप्टे एक कामकाजी महिला के तौर पर दिखायी गई हैं जिन्हें घर से दफ्तर के बीच हर रोज छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है. यही उनकी सहेलियों के साथ भी होता है. आखिरकार यह तीनों महिलाएं इन छेड़छाड़ करने वाले लड़कों का सामना करने की हिम्मत दिखाती हैं.
पिंक (2016)
पिछले साल रिलीज हुई अमिताभ बच्चन और तापीस पन्नू की इस फिल्म ने देश भर में वाहवाही लूटी. पिंक महिलाओं के पहनावे को उनके साथ होने वाली घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताने वाली मानसिकता पर गहरा प्रहार किया गया था. यह फिल्म तीन मॉर्डन लड़कियों की कहानी है जिनके साथ उनके जानकार कुछ लड़के जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं और अदालत के सामने इसके लिए इनके रहन-सहन को जिम्मेदार बताया जाता है. इस फिल्म को इस साल के नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में सामाजिक मुद्दे पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चुना गया.
एंग्री इंडियन गॉडेस (2015)
निर्देशक पान नलिन की इस फिल्म में सात महिलाओं की कहानी दिर्ख गई है. इस फिल्म को 2015 में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया गया जहां से इसे पीपल्स चॉइस अवॉर्ड के लिए चुना गया. इस फिल्म को दुनियाभर में तारीफें मिली. फिल्म में बलात्कार, महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह प्रदर्शित करना, लैंगिक समानता जैसे कई विषयों को एक साथ उठाया गया था. फिल्म में तनिष्ठा चटर्जी, संध्या मृदुल, सारा जेन डायस, अनुष्का मनचंदा, राजश्री देशपांडे आदि कलाकार नजर आए.
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