मुंबई:
अभिनेता विवेक ओबराय का कहना है कि उनका करियर अपेक्षा के अनुरूप आगे नहीं बढ़ पाया, लेकिन फिल्म जगत में अपनी स्थिति को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं है।
विवेक ने कहा, इस बात को लेकर मुझे कोई चिंता नहीं है कि मैं फिल्म उद्योग में कहां हूं। मैं आज बहुत खुश हूं। मैंने यह महसूस किया है कि लोग किसी का अहसान भूल जाते हैं, लेकिन मुझे जिन लोगों ने भी अपनी फिल्मों में मौका दिया है, उन लोगों का मैं शुक्रगुजार हूं। ऐसे लोगों की यहां कमी नहीं है, जो बहुत प्रतिभावान हैं, लेकिन उन्हें फिल्म उद्योग में कोई मौका नहीं मिलता। 'साथिया', 'मस्ती', 'ओंकारा', 'शूटआउट एट लोखंडवाला' जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय करने वाले विवेक ओबेरॉय के खाते में 'मिशन इस्तानबुल', 'प्रिंस', 'कुर्बान', 'किस्मत लव पैसा' दिल्ली जैसी फ्लॉप फिल्में भी हैं।
उन्होंने कहा, मैं फिल्म उद्योग में करीब दस साल से हूं। मेरे काम को लेकर बहुत तारीफ हुई, मुझे पुरस्कार मिले, मैंने धन कमाया और इज्जत तथा प्यार भी मुझे कम नहीं मिला। मुझे इतना कुछ मिला है कि मैं सभी का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरी राय में, जो नहीं मिला उसे लेकर शिकायत करना सही नहीं है।
विवेक ने कहा, इस बात को लेकर मुझे कोई चिंता नहीं है कि मैं फिल्म उद्योग में कहां हूं। मैं आज बहुत खुश हूं। मैंने यह महसूस किया है कि लोग किसी का अहसान भूल जाते हैं, लेकिन मुझे जिन लोगों ने भी अपनी फिल्मों में मौका दिया है, उन लोगों का मैं शुक्रगुजार हूं। ऐसे लोगों की यहां कमी नहीं है, जो बहुत प्रतिभावान हैं, लेकिन उन्हें फिल्म उद्योग में कोई मौका नहीं मिलता। 'साथिया', 'मस्ती', 'ओंकारा', 'शूटआउट एट लोखंडवाला' जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय करने वाले विवेक ओबेरॉय के खाते में 'मिशन इस्तानबुल', 'प्रिंस', 'कुर्बान', 'किस्मत लव पैसा' दिल्ली जैसी फ्लॉप फिल्में भी हैं।
उन्होंने कहा, मैं फिल्म उद्योग में करीब दस साल से हूं। मेरे काम को लेकर बहुत तारीफ हुई, मुझे पुरस्कार मिले, मैंने धन कमाया और इज्जत तथा प्यार भी मुझे कम नहीं मिला। मुझे इतना कुछ मिला है कि मैं सभी का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरी राय में, जो नहीं मिला उसे लेकर शिकायत करना सही नहीं है।
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