मुंबई:
रितेश बत्रा की फ़िल्म लंच बॉक्स में बहुत से डिब्बे हैं और हर डिब्बे में हैं मंत्र मुग्ध कर देने वाली चीजें जो हटकर सिनेमा देखने वालों के दिल में उतर जाएगी।
यह कहानी मुंबई में रहने वाले साजन फर्नांडिस और एक हाउसवाइफ इला की है जिनके बीच अनोखा रिश्ता बनता है।
एक लंच बॉक्स जो ग़लती से इला यानी निरमत कौर के पति यानी नकुल वैद्य की जगह साजन फर्नांडिस को पहुंच जाता है जिसका किरदार निभाया है इरफ़ान खान ने।
यह कहानी एक बड़े शहर के खालीपन को दर्शाती है और उन रिश्तों की बात करती है जो सिर्फ नाम के हैं।
फिल्म खुद में क़ैद ज़िंदगी को खुलने की सलाह देती है और साथ ही महानगरों के माहौल में गहरी नींद में सोते इंसानों को झकझोरती भी है।
लंच बॉक्स बड़े सरल अंदाज़ में बिना लाग लपेट के कही गई कहानी है जिसे आप सरलता से हज़म कर जाते हैं।
निर्देशक रितेश बत्रा ने फिल्म में इशारों ही इशारों में बहुत सी बात कह दी है। ठीक ज़िंदगी की तरह फिल्म में कुछ ऐसे किरदार हैं जो नज़रों के सामने न होते हुए भी हैं और उनकी अहमियत करीब के लोगों से भी ज़्यादा है।
जो लोग सिर्फ इंटरटेनमेंट के लिए थियेटर जाते हैं उन्हें फिल्म थोड़ी स्लो लग सकती है पर फ़िल्म में नवाज़ुद्दीन का किरदार बिना बोले ही बहुत कुछ बोल जाता है।
नवाज़ुद्दीन की बेहतरीन परफॉरमेंस और सरप्राइज़ पैकेज है। निरमत कौर जिन्होंने अभिनय में एक भी सुर हिलने नहीं दिया।
कुल मिलाकर लंच बॉक्स मंद-मंद बहती वह हवा है जिसे आप महसूस कर सकते हैं और जो आपको ताज़गी से भर देती है।
...मेरी ओर से इस फिल्म को 4 स्टार्स।
यह कहानी मुंबई में रहने वाले साजन फर्नांडिस और एक हाउसवाइफ इला की है जिनके बीच अनोखा रिश्ता बनता है।
एक लंच बॉक्स जो ग़लती से इला यानी निरमत कौर के पति यानी नकुल वैद्य की जगह साजन फर्नांडिस को पहुंच जाता है जिसका किरदार निभाया है इरफ़ान खान ने।
यह कहानी एक बड़े शहर के खालीपन को दर्शाती है और उन रिश्तों की बात करती है जो सिर्फ नाम के हैं।
फिल्म खुद में क़ैद ज़िंदगी को खुलने की सलाह देती है और साथ ही महानगरों के माहौल में गहरी नींद में सोते इंसानों को झकझोरती भी है।
लंच बॉक्स बड़े सरल अंदाज़ में बिना लाग लपेट के कही गई कहानी है जिसे आप सरलता से हज़म कर जाते हैं।
निर्देशक रितेश बत्रा ने फिल्म में इशारों ही इशारों में बहुत सी बात कह दी है। ठीक ज़िंदगी की तरह फिल्म में कुछ ऐसे किरदार हैं जो नज़रों के सामने न होते हुए भी हैं और उनकी अहमियत करीब के लोगों से भी ज़्यादा है।
जो लोग सिर्फ इंटरटेनमेंट के लिए थियेटर जाते हैं उन्हें फिल्म थोड़ी स्लो लग सकती है पर फ़िल्म में नवाज़ुद्दीन का किरदार बिना बोले ही बहुत कुछ बोल जाता है।
नवाज़ुद्दीन की बेहतरीन परफॉरमेंस और सरप्राइज़ पैकेज है। निरमत कौर जिन्होंने अभिनय में एक भी सुर हिलने नहीं दिया।
कुल मिलाकर लंच बॉक्स मंद-मंद बहती वह हवा है जिसे आप महसूस कर सकते हैं और जो आपको ताज़गी से भर देती है।
...मेरी ओर से इस फिल्म को 4 स्टार्स।
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