नई दिल्ली:
हर शुक्रवार आपको इंतज़ार होता है एक नई फ़िल्म का और इस बार की नई फ़िल्म है 'कहानी 2' जिसके निर्देशक हैं सुजॉय घोष और 'कहानी 2' फ़्रैंचायज़ है 2012 मैं रिलीज़ हुई फ़िल्म 'कहानी' का, जो लोग इसे सीक्वल समझ रहे हैं उन्हें बता दूं की ये कहानी का सीक्वल नहीं है.
ये एक अलग कहानी है और सिर्फ़ ब्राण्ड 'कहानी', यानी नाम का इस्तेमाल किया गया है. इस फिल्म में भी मुख्य किरदार निभा रही हैं विद्या बालन और यहां उनके साथ जुड़ रहे हैं अर्जुन रामपाल, जुगल हंसराज, नाइशा खन्ना, मानिनी चड्ढा, खराज मुखर्जी, टोटा रॉय चौधरी और अब सबसे बड़ी मुश्किल की 'कहानी 2' की कहनी कैसे बताई जाए क्योंकि सस्पेन्स फ़िल्म के बारे में कुछ भी बोला तो मज़ा किरकिरा होने का डर रहता है, पर चलिए जो आपने प्रोमो मैं देखकर समझा वो ही बता देता हूं. दुर्गा रानी सिंह यानी विद्या की बेटी की जान ख़तरे में है और वो हर हाल में उसकी जान बचाना चाहती है, और उसकी इस जंग में उसे सामना करना पड़ता है बहुत सी मुश्किलों का.
अब बात सीधे ख़ामी और ख़ूबियों की जिनमें सबसे पहले ख़ामी तो पहली बात ये की अगर आप इसकी तुलना कहानी से करने बैठ गए तो शायद आपको इसका सस्पेन्स उतना ज़बरदस्त न लगे जितना कहानी का था. दूसरी बात जैसे जैसे फ़िल्म आगे बढ़ती है आपको पूर्व-आभास होने लगता है की आगे क्या होगा और कौन षड्यंत्र में शामिल है, इसके अलावा कुछ सीक्वेंस लंबी हो जाती हैं मसलन अर्जुन का चेज़िंग सीन। एक सीन ऐसा भी हैं जहां आप एक किरदार की आवाज़ सुन कर समझ जाते हैं की ये शख़्स कौन होगा, तो मेरे हिसाब से ये थी फ़िल्म की ख़ामियां और अब बात ख़ूबियों की तो कहानी 2 की सबसे बड़ी ख़ूबी है इसका विषय, दूसरी ख़ूबी इसकी कहानी और तीसरी सबसे बड़ी ख़ूबी इसका स्क्रीन्प्ले और ये सारी ख़ूबियां आपको बांध के रखती है और पर्दे पर आंखें गढ़ाए रहते हैं।
तपन बासु की सिनेमेटोग्राफ़ी फ़िल्म का मूड, कोलकाता के अनदेखे पहलुओं को बख़ूबी दर्शाती है यानी बेहतरीन सिनेमेटोग्राफ़ी, साथ ही अच्छा बैकग्राउंड स्कोर। इसके अलावा अभिनय के मामले में विद्या एक बार फिर कसौटी पर खरी उतरीं, विद्या का अस्पताल अभिनय और साथ ही अभिनय में कमाल किया है अर्जुन रामपाल ने, जिनका अभिनय बेहद सधा हुआ है.
इनके अलावा मिनी के किरदार में नाइशा, इंस्पेक्टर हलधर के किरदार में खराज और अर्जुन की पत्नी के किरदार में मनिनी का भी सराहनीय अभिनय है. तो जाइये ये फ़िल्म देखिए क्योंकि इस फ़िल्म को मैं दे रहा हुँ 3.5 स्टार्स.
ये एक अलग कहानी है और सिर्फ़ ब्राण्ड 'कहानी', यानी नाम का इस्तेमाल किया गया है. इस फिल्म में भी मुख्य किरदार निभा रही हैं विद्या बालन और यहां उनके साथ जुड़ रहे हैं अर्जुन रामपाल, जुगल हंसराज, नाइशा खन्ना, मानिनी चड्ढा, खराज मुखर्जी, टोटा रॉय चौधरी और अब सबसे बड़ी मुश्किल की 'कहानी 2' की कहनी कैसे बताई जाए क्योंकि सस्पेन्स फ़िल्म के बारे में कुछ भी बोला तो मज़ा किरकिरा होने का डर रहता है, पर चलिए जो आपने प्रोमो मैं देखकर समझा वो ही बता देता हूं. दुर्गा रानी सिंह यानी विद्या की बेटी की जान ख़तरे में है और वो हर हाल में उसकी जान बचाना चाहती है, और उसकी इस जंग में उसे सामना करना पड़ता है बहुत सी मुश्किलों का.
अब बात सीधे ख़ामी और ख़ूबियों की जिनमें सबसे पहले ख़ामी तो पहली बात ये की अगर आप इसकी तुलना कहानी से करने बैठ गए तो शायद आपको इसका सस्पेन्स उतना ज़बरदस्त न लगे जितना कहानी का था. दूसरी बात जैसे जैसे फ़िल्म आगे बढ़ती है आपको पूर्व-आभास होने लगता है की आगे क्या होगा और कौन षड्यंत्र में शामिल है, इसके अलावा कुछ सीक्वेंस लंबी हो जाती हैं मसलन अर्जुन का चेज़िंग सीन।
तपन बासु की सिनेमेटोग्राफ़ी फ़िल्म का मूड, कोलकाता के अनदेखे पहलुओं को बख़ूबी दर्शाती है यानी बेहतरीन सिनेमेटोग्राफ़ी, साथ ही अच्छा बैकग्राउंड स्कोर। इसके अलावा अभिनय के मामले में विद्या एक बार फिर कसौटी पर खरी उतरीं, विद्या का अस्पताल अभिनय और साथ ही अभिनय में कमाल किया है अर्जुन रामपाल ने, जिनका अभिनय बेहद सधा हुआ है.
इनके अलावा मिनी के किरदार में नाइशा, इंस्पेक्टर हलधर के किरदार में खराज और अर्जुन की पत्नी के किरदार में मनिनी का भी सराहनीय अभिनय है. तो जाइये ये फ़िल्म देखिए क्योंकि इस फ़िल्म को मैं दे रहा हुँ 3.5 स्टार्स.
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