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This Article is From May 08, 2015

फिल्म रिव्यू : पिता और बेटी के रिश्ते की मार्मिक कहानी है 'पीकू'

फिल्म रिव्यू : पिता और बेटी के रिश्ते की मार्मिक कहानी है 'पीकू'
मुंबई: 'पीकू' की कहानी के बारे में सिर्फ़ इतना बताना मुमकिन है कि यह फ़िल्म एक पिता और बेटी के रिश्ते की कहानी है, जो इशारों-इशारों में अपने रिश्ते के अलावा और बहुत कुछ कह जाती है।

फ़िल्म में भास्कर बनर्जी के किरदार में हैं, अमिताभ बच्चन और उनकी बेटी के क़िरदार में हैं, दीपिका पादुकोण, फ़िल्म में जिनका नाम है, पीकू।

वहीं इरफ़ान ख़ान एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक जिसू सेन गुप्ता के किरदार में दिखेंगे, जो पीकू के ख़ास दोस्त हैं। साथ ही फ़िल्म में रघुवीर यादव बने हैं, डॉक्टर और मौसमी चटर्जी बनी हैं, पीकू की मौसी। अगर फिल्म ग़ौर से देखें तो आप पाएंगे कि निर्देशक शुजीत सरकार ने बड़ी ही खूबसूरती से फ़िल्म और फ़िल्म के भाव को पेश किया है।

फ़िल्म शुरू होने के कुछ वक्त बाद से ही अभिताभ बच्चन का किरदार चिड़चिड़ापन महसूस कराता है, पर इसमें भी बिग बी और निर्देशक शुजीत सरकार की जीत है, क्योंकि उनके किरदार को ही कुछ इस तरह से गढ़ा गया है। पर्दे पर दिख रही सारी भावनाओं को आप महसूस कर सकेंगे।

पीकू एक बड़ी ही मीठी, सीधी और पारिवारिक कहानी है, जिससे कई लोग जुड़ पाएंगे, क्योंकि फ़िल्म में दिखाई गई परिस्थितियों से शायद हर परिवार गुज़रता है। निर्देशक और कलाकारों की तारीफ़ करनी पड़ेगी फ़िल्म पर अपना विश्वास बनाए रखने के लिए।

फ़िल्म के पहले भाग में आप ज़रा असहज महसूस कर सकते हैं क्योंकि इसमें भावनात्मक मोड़ तो हैं पर कहानी में मोड़ नहीं है। पिता और बेटी के मीठे रिश्ते को अनदेखा किया तो एक वक्त के बाद आपको फ़िल्म में बार-बार हो रही कब्ज़ की शिकायत से कब्ज़ हो सकती है।

इस फ़िल्म में रिश्तों को खूबसूरती से दिखाया गया है फिर चाहे वह मालिक और नौकर का रिश्ता हो, कार किराए पर देने वाली कंपनी के मालिक और उसकी ग्राहक पीकू का, जो कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह जाता है। फ़िल्म के लेखक और निर्देशक ने एक इंसान की जड़ों को बड़ी सादगी के साथ पेश किया है। फ़िल्म देखते वक्त आपके होठों पर हंसी भी होगी तो आंखों में आंसू भी छलक सकते हैं।

इस फिल्म में दीपिका अभिनय की नई उड़ान भरती हैं। इरफ़ान की ओर से एक बार फिर बेहतरीन और उम्दा अदाकारी का प्रदर्शन। अमिताभ बच्चन इन दोनों कलाकारों के साथ बिल्कुल सुर में दिखते हैं।

फ़िल्म के गाने आपकी ज़ुबान पर तो नहीं चढ़ेंगे पर गानों के बोल अच्छे हैं। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि फ़िल्म एक ख़ास वर्ग को पसंद आ सकती है, हालांकि ये भी सच है कि कइयों को शायद फ़िल्म में मनोरंजन न दिखे। पीकू एक साफ़, पारिवारिक रिश्तों और रोज़मर्रा की उन परेशानियों की कहानी है, जिसे देखकर कोई हंसेगा को कोई शायद चिड़चिड़ा महसूस करे। मेरी ओर से फ़िल्म को 3.5 स्टार्स।

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