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This Article is From Jan 31, 2014

फिल्म समीक्षा : सब्र से देखें तो भाएगी 'वन बाई टू'

मुंबई:

'वन बाय टू' की कहानी दो युवा कलाकारों - अमित शर्मा यानी अभय देओल और समायरा यानी प्रीति देसाई के इर्द-गिर्द घूमती है।
अमित दिल पर चोट खाए आशिक हैं, जिन्हें उनकी गर्लफ्रेंड नकारा समझकर छोड़ देती हैं। समायरा एक डांसर हैं, जिन्होंने अपने कोरियोग्राफर से इश्क में धोखा खाया है। अमित यानी अभय देओल एक कंपनी में काम करते हैं, पर वह एक लेखक और संगीतकार भी हैं। दोनों ही किरदार अपने खोए प्यार को दोबारा पाना चाहते हैं। आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी।

बात फिल्म की खामियां और खूबियों की। पहली खामी - पहले भाग तक आपको पता नहीं चलेगा कि फिल्म कहना क्या चाहती है। दूसरी खामी - आज की रफ्तार भरी फिल्मों के सामने आपको यह फिल्म धीमी लग सकती है। इस फिल्म को देखने के लिए काफी धैर्य की जरूरत पड़ सकती है।

कहानी कहने में निर्देशक देविका भगत थोड़ा मात खा गईं। दर्शक मुख्य विषय से भटक सकते हैं। फिल्म उन लोगों का शायद मनोरंजन न कर पाए, जिन्हें चटपटी कहानियां, दमदार डायलॉग्स पसंद हैं।

अब बात खूबियों की... फिल्म के गाने और उनके बोल मुझे पसंद आए। अभय और प्रीति का काम अच्छा लगा। फिल्म के कई सीन्स आपको अच्छे लग सकते हैं। कुछ डायलॉग थोड़े मुश्किल शब्दों से सजे हैं, पर आपको उनमें नयापन नजर आ सकता है।

गानों को जिस तरह से देविका ने इस्तेमाल किया, वह काफी अच्छा है। देविका का फिल्म मेकिंग स्टाइल भी सराहनीय है। इस फिल्म से फिल्मकार काफी कुछ सीख सकते हैं, पर दर्शकों को फिल्म में शायद मनोरंजन की कमी नजर आए। मेरी ओर से फिल्म को 2.5 स्टार्स...

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