फिल्म 'मिरर गेम: अब खेल शुरू' के पोस्टर में प्रवीन डबास, ओमी वैद्य और पूजा बत्रा.
नई दिल्ली:
फिल्म : मिरर गेम: अब खेल शुरू
डायरेक्टर : वी. शर्मा
कास्ट: प्रवीण डबास, ओमी वैद्य, पूजा बत्रा, ध्रुव बाली
शुक्रवार को रिलीज हुई है 'मिरर गेम: अब खेल शुरू'. इस फिल्म में प्रवीण डबास, ओमी वैद्य, पूजा बत्रा और ध्रुव बाली जैसे कई कलाकार नजर आ रहे हैं. ये फिल्म एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है. इसकी कहानी घूमती है जेनेटिक साइकाइट्री के प्रोफेसर के इर्द-गिर्द, जिन्हें शक हो जाता है कि उनकी पत्नी का किसी के साथ अफेयर है. इस परिस्थिति में वो अपनी पत्नी की हत्या करवाना चाहते हैं, जिसके लिए वो चुनते हैं अपने ही एक छात्र को. फिल्म की कहानी में घटनाओं का क्रम कुछ इस तरह बदलता है कि प्रोफेसर खुद ही अपने बिछाये जाल में फंस जाते हैं. यह दर्शकों को कहानी का एक हिंट है, मगर इस स्टोरी में आपको चौंकाने के लिए बहुत कुछ है, जो कि मैं आपको नहीं बताऊंगा क्योंकि बताऊंगा तो राज़ खुल जाएगा.
इस फिल्म की कहानी और आइडिया दोनों अच्छे हैं, पर लेखक से चूक स्क्रीनप्ले में हुई. मुझे लगता है कि कुछ चीजें लेखक ने अपनी सहूलियत के हिसाब से लिखी. मैं यहां ज्यादा कहानी के बारे मैं बोलूंगा तो सस्पेंस खुल जाएगा. इतना कहूंगा कि फिल्म में स्कॉच की बोतल और चैस के प्यादे मेरे दिमाग में अटक गए और पूरी जांच के दौरान इन दोनों चीजों का जिक्र नहीं आया, जबकि ये दोनों चीजें कुछ उलझन सुलझा सकते थे. इसके अलावा मुझे कई जगह प्रवीण डबास की एक्टिंग में भी खामियां लगीं. अब ये निर्देशक का निर्देशन था या प्रवीण का फैसला, ये कहना मुश्किल है क्योंकि जब भी प्रोफेसर अपनी पत्नी की हत्या की बात करता है तो ऐसा लगता कि हत्या उसके लिए एक मामूली-सी चीज है. ओमी वैद्य का किरदार मुझे समझ नहीं आया पर हो सकता है आपको आ जाए. मुझे लगता है कि फिल्म के किरदार और कहानी के कुछ पहलू सस्पेंस बनाये रखने के लिए अच्छे थे, पर अंत तक ये आपको कंफ्यूज करके रखते हैं यानी सिनेमाघर से बाहर आने के बाद भी.
इसमें कोई दो राय नहीं कि इस फिल्म की कहानी अच्छी है और ये फिल्म आपको बांधकर रखती है. ये फिल्म अंत तक आपको उलझाए रहती है और अंत जानने के लिए आपकी उत्सुकता बनी रहती है. फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी है और स्क्रीनप्ले कसा हुआ है. बस कुछ चीजों को छोड़कर जिनकी बात में खामियों के दौरान की. अच्छी बात ये है कि फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सहज है और फिल्म को बल देता है. इस फिल्म में कोई गाना नहीं है ये भी फिल्म की अच्छाइयों में शुमार है क्योंकि अगर गाना होता तो फिल्म की स्पीड को ब्रेक लग जाता. प्रोफेसर के छात्र के किरदार में ध्रुव बलि का अच्छा अभिनय, पूजा बत्रा और ओमी वैद्य ठीक हैं. कुल मिलकर ये फिल्म भी ठीक है इसलिए मैं इसे स्टार्स भी शायद ठीक ही दे रहा हूं यानी २.5 स्टार्स.
डायरेक्टर : वी. शर्मा
कास्ट: प्रवीण डबास, ओमी वैद्य, पूजा बत्रा, ध्रुव बाली
शुक्रवार को रिलीज हुई है 'मिरर गेम: अब खेल शुरू'. इस फिल्म में प्रवीण डबास, ओमी वैद्य, पूजा बत्रा और ध्रुव बाली जैसे कई कलाकार नजर आ रहे हैं. ये फिल्म एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है. इसकी कहानी घूमती है जेनेटिक साइकाइट्री के प्रोफेसर के इर्द-गिर्द, जिन्हें शक हो जाता है कि उनकी पत्नी का किसी के साथ अफेयर है. इस परिस्थिति में वो अपनी पत्नी की हत्या करवाना चाहते हैं, जिसके लिए वो चुनते हैं अपने ही एक छात्र को. फिल्म की कहानी में घटनाओं का क्रम कुछ इस तरह बदलता है कि प्रोफेसर खुद ही अपने बिछाये जाल में फंस जाते हैं. यह दर्शकों को कहानी का एक हिंट है, मगर इस स्टोरी में आपको चौंकाने के लिए बहुत कुछ है, जो कि मैं आपको नहीं बताऊंगा क्योंकि बताऊंगा तो राज़ खुल जाएगा.
इस फिल्म की कहानी और आइडिया दोनों अच्छे हैं, पर लेखक से चूक स्क्रीनप्ले में हुई. मुझे लगता है कि कुछ चीजें लेखक ने अपनी सहूलियत के हिसाब से लिखी. मैं यहां ज्यादा कहानी के बारे मैं बोलूंगा तो सस्पेंस खुल जाएगा. इतना कहूंगा कि फिल्म में स्कॉच की बोतल और चैस के प्यादे मेरे दिमाग में अटक गए और पूरी जांच के दौरान इन दोनों चीजों का जिक्र नहीं आया, जबकि ये दोनों चीजें कुछ उलझन सुलझा सकते थे. इसके अलावा मुझे कई जगह प्रवीण डबास की एक्टिंग में भी खामियां लगीं. अब ये निर्देशक का निर्देशन था या प्रवीण का फैसला, ये कहना मुश्किल है क्योंकि जब भी प्रोफेसर अपनी पत्नी की हत्या की बात करता है तो ऐसा लगता कि हत्या उसके लिए एक मामूली-सी चीज है. ओमी वैद्य का किरदार मुझे समझ नहीं आया पर हो सकता है आपको आ जाए. मुझे लगता है कि फिल्म के किरदार और कहानी के कुछ पहलू सस्पेंस बनाये रखने के लिए अच्छे थे, पर अंत तक ये आपको कंफ्यूज करके रखते हैं यानी सिनेमाघर से बाहर आने के बाद भी.
Mirror Game: Ab Khel Shuru - a Psychological Thriller that will keep you guessing till the very end! #MirrorGameFilm pic.twitter.com/RHVhPUzPgg
— MirrorGameFilm (@MirrorGameFilm) May 11, 2017
इसमें कोई दो राय नहीं कि इस फिल्म की कहानी अच्छी है और ये फिल्म आपको बांधकर रखती है. ये फिल्म अंत तक आपको उलझाए रहती है और अंत जानने के लिए आपकी उत्सुकता बनी रहती है. फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी है और स्क्रीनप्ले कसा हुआ है. बस कुछ चीजों को छोड़कर जिनकी बात में खामियों के दौरान की. अच्छी बात ये है कि फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सहज है और फिल्म को बल देता है. इस फिल्म में कोई गाना नहीं है ये भी फिल्म की अच्छाइयों में शुमार है क्योंकि अगर गाना होता तो फिल्म की स्पीड को ब्रेक लग जाता. प्रोफेसर के छात्र के किरदार में ध्रुव बलि का अच्छा अभिनय, पूजा बत्रा और ओमी वैद्य ठीक हैं. कुल मिलकर ये फिल्म भी ठीक है इसलिए मैं इसे स्टार्स भी शायद ठीक ही दे रहा हूं यानी २.5 स्टार्स.
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