
मधुर भंडारकर (फाइल फोटो)
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मोहम्मद अली के जीवन पर फिल्म बनाना चाहूंगा
युवा प्रधान फिल्में बनाना करते हैं पसंद
'फैशन' के सीक्वल पर काम करने के इच्छुक हैं
मोहम्मद अली के जीवन पर फिल्म बनाना चाहूंगा
भंडारकर ने बातचीत में कहा, 'मैं यकीनन मोहम्मद अली के जीवन पर फिल्म बनाना चाहूंगा।' मोहम्मद अली को आइकॉन मानने वाले मधुर उनके निधन से बेहद दुखी हैं। 'चांदनी बार', 'सत्ता', 'पेज थ्री' और 'फैशन' जैसी बेहतरीन फिल्में देने वाले भंडारकर ने कहा कि मोहम्मद अली एक शाइनिंग स्टार हैं और हमेशा रहेंगे। मैंने उनके मैच देखे हैं और वह जिस फुर्ती से खेलते थे, वह आश्चर्यजनक था। मैं यकीनन उन पर फिल्म बनाना चाहूंगा और मैं ही नहीं बल्कि इंडस्ट्री के कई अन्य निर्देशक भी यही राय रखते होंगे।
'फैशन' के सीक्वल पर काम करने के इच्छुक हैं
मधुर भंडारकर की 2008 में रिलीज हुई फिल्म 'फैशन' ने सफलता के झंडे गाड़ दिए थे लेकिन इसके साथ ही उनके द्वारा फिल्म के माध्यम से उजागर की गई फैशन जगत की सच्चाई से कई विवाद भी खड़े हुए थे, लेकिन इन सबके बावजूद मधुर 'फैशन' के सीक्वल पर काम करने के इच्छुक हैं। भंडारकर ने कहा कि फैशन मेरे दिल के बहुत करीब है। दर्शकों को इसका सीक्वल जरूर देखने को मिलेगा।
लीक से हटकर कुछ करने की योजना
मौजूदा समय में फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता और हंसी के नाम पर फूहड़ता के बारे में मधुर की सोच काफी स्पष्ट है। वह कहते हैं कि लोग ऐसी फिल्में देख रहे हैं तो यह बन रही हैं, जिस दिन लोग इन्हें देखना बंद कर देंगे। इस तरह की फिल्में बनना भी बंद हो जाएगी। भंडारकर समाज के ताने-बाने के इर्द-गिर्द घूमती फिल्मों के बजाए लीक से हटकर फिल्म बनाने पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने ने कहा, 'मैं लीक से हटकर कुछ करने की योजना बना रहा हूं। कुछ दिलचस्प प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर काम चल रहा है।'
युवा प्रधान फिल्में बनाना करते हैं पसंद
हालांकि, मधुर कहते हैं कि वह युवा प्रधान फिल्में बनाना पसंद करते हैं। वह फिल्म जगत में आ रहे युवा अभिनेताओं के काम से प्रभावित हैं। मधुर कहते हैं कि हर साल इंडस्ट्री में नया टैलेंट आता है। युवाओं के साथ काम करना हमेशा ही मजेदार रहता है, वे अपने साथ नई ऊर्जा लाते हैं। बड़े शहरों के युवाओं के पास पैसा और तमाम तरह के संसाधन हैं, इसलिए उनके लिए इंडस्ट्री से जुड़ना कुछ हद तक आसान हो जाता है लेकिन इसकी तुलना में छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को वो मौके नहीं मिल पाते। इस दिशा में ग्रामीण स्तर पर एक्टिंग संस्थान खोले जाने की जरूरत है।
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