नई दिल्ली:
कश्मकश वकालत की पढ़ाई कर रहे रमेश पर आधारित है जो रईस प्रेमिका (हेमनालिनी) राईमा सेन से शादी करना चाहता है। लेकिन रमेश के पिता उसकी शादी गरीब बेसहारा सुशीला से कर देते हैं। शादी होते ही रमेश की ज़िंदगी में तूफान आ जाता है। वह हैरान है कि शादी तो सुशीला से हुई थी फिर घर पर मौजूद कमला (रिया सेन) कौन है आप भी पूरी फिल्म में इसी सवाल का जवाब खोजते रहेंगे… अगर रविन्द्रनाथ टैगोर का उपन्यास नौकाडूबी नहीं पढ़ा है तो...। कश्मकश डायरेक्टर ऋतुपर्णा घोष की हिंदी फिल्म है जो ओरिजनली बंगाली में बनी नौकाडूबी के नाम से। प्यार की साइक्लॉजी और इसकी उलझनों को ऋतुपर्णा ने बड़ी खूबसूरती से सेल्यूलाइड पर उतारा है। रिया सेन, राईमा सेन, प्रसेनजीत और जीशू सेनगुप्ता की बेहतरीन एक्टिंग। बंगाली दुल्हन के रूप में रिया सेन बेहद खूबसूरत लगीं लेकिन हिंदी में डब्ड उनकी आवाज़ बच्चों जैसी है। रविन्द्र बाबू की कहानी की खूबसूरती देखिये। 1921 में सेट फिल्म में लड़की का पिता इतना प्रोग्रेसिव है कि बेटी की मर्जी के बगैर उसकी शादी नहीं करता जबकि गरीब अनाथ लड़की को बहू बनाने की खातिर एक पिता अपने बेटे से नाता तोड़ने की धमकी दे डालता है। फिल्म में एक से बढ़कर एक बेहतरीन डायलॉग्स हैं। हालांकि इंटरवेल के बाद कश्मकश स्लो हो जाती है। गाने कम करके लंबाई कम की जा सकती थी। बावजूद इसके, कश्मकश देखने लायक है और इसके लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
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कश्मकश, फिल्म