बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की फर्लो बढ़ाने की अर्जी अगर खारिज हो जाती है तो उनका मेहनताना काटा जा सकता है। दरअसल, संजय दत्त को गुरुवार को जेल में आत्मसमर्पण करना था, और वह समर्पण के लिए घर से पुणे में यरवदा जेल के लिए रवाना हुए भी थे, लेकिन तभी गृह राज्यमंत्री राम शिंदे का बयान आया कि संजय दत्त की अर्जी अभी लंबित है, इसलिए उन्हें जेल जाने की ज़रूरत नहीं है।
बस, फिर क्या था... संजय दत्त जेल अथॉरिटी को एक पत्र देकर उल्टे पांव लौट आए। हालांकि इस बीच, महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री राम शिंदे ने कहा है कि संजय दत्त के वकील ने मेरे बयान को गलत समझा, क्योंकि फर्लो देने या न देने का गृहमंत्री को हक नहीं होता, और संजय के मामले में फैसला शुक्रवार शाम या शनिवार सुबह तक आ ही जाएगा।
उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट में कैदियों के मामलों को देखने वाली वरिष्ठ वकील आएशा अंसारी के मुताबिक कैदी अक्सर फर्लो पर बाहर आने के बाद उसे बढ़ाने की अर्जी दे देते हैं, और फैसले में देरी होने पर बाहर ही रहते हैं। ऐसे में अगर संजय दत्त की अर्जी मंज़ूर हो जाती है तो ठीक, लेकिन अगर अर्जी खारिज हो जाती है, तो उनके खिलाफ जेल ऑफेंस बनता है और उसके तहत मेहनताना काट लिया जाता है, वह भी ज़्यादा से ज़्यादा पांच दिन का।
उल्लेखनीय है कि संजय दत्त 24 दिसंबर को फर्लो के तहत 14 दिन की छुट्टी लेकर जेल से बाहर आए थे, और 29 दिसंबर को उन्होंने मेडिकल ग्राउंड पर छुट्टी की अवधि बढ़ाने की गुज़ारिश की थी, सो, ऐसे में जेल प्रशासन ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी, जो अब तक जेल प्रशासन के पास नहीं पहुंची है, इसलिए सरकार के मुताबिक रिपोर्ट आने और उस पर किसी तरह का फैसला होने तक संजय पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
वैसे, वर्ष 1993 के बम धमाकों से जुड़े एक मामले में अवैध रूप से हथियार रखने के जुर्म में संजय यरवदा में 42 महीने की सज़ा काट रहे हैं, लेकिन वह अब तक पैरोल और फर्लो के तहत कुल मिलाकर 132 दिन की छुट्टी ले चुके हैं, और इसी कारण उनकी छुट्टियां हमेशा विवादों से घिरी रही हैं।
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