खंडवा (मध्य प्रदेश):
फिल्म अभिनेता सलमान खान की शादी को लेकर समय-समय पर कयास लगाए जाते रहे हैं, लेकिन उनके पिता सलीम खान का मानना है कि सलमान की शादी कब होगी, यह अल्लाह मियां भी नहीं बता सकते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पार्श्व गायक किशोर कुमार सम्मान से सम्मानित सलीम खान पुरस्कार लेने से पहले किशोर दा की समाधि स्थल पर गए और पुष्पाजंलि अर्पित की।
इस अवसर पर पत्रकारों से अपनी संक्षिप्त चर्चा में उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सलमान की शादी कब होगी, यह अल्ला मियां भी नहीं बता सकते। उन्होंने कहा कि हम तो चाहते हैं कि घर में बहू जल्दी आए लेकिन यह हमारे हाथ की बात नहीं है।
उन्होंने किशोर दा के बड़े भाई अशोक कुमार से अपने प्रगाढ़ संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि किशोर दा महान कलाकार थे और उनका कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि दादामुनि और दिलीप कुमार ने अभिनय को जो मुकाम दिया है, उसे कोई नहीं छू सकता। सलीम खान ने कहा कि दर्शकों को हताशा से बचाने के लिए फिल्मों में बदलाव की रफ्तार तेज करनी होगी।
उन्होंने कहा कि हाउसफुल बनाने की होड़ की बजाय अभिनय को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि पूर्व में फिल्में एक जन-आंदोलन का प्रतीक हुआ करती थीं, जिसमें आज बड़ी कमी आई है। उन्होंने कहा कि विकृत सिनेमा के साथ दर्शकों को लंबे समय तक बांधे रखना मुमकिन नहीं होगा। इसके लिए उत्कृष्ट सिनमा के साथ इसमें बदलाव लाया जाना चाहिए, ताकि फिल्म समाज को दिशा देने के साथ-साथ मनोरंजन भी कर सके।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पार्श्व गायक किशोर कुमार सम्मान से सम्मानित सलीम खान पुरस्कार लेने से पहले किशोर दा की समाधि स्थल पर गए और पुष्पाजंलि अर्पित की।
इस अवसर पर पत्रकारों से अपनी संक्षिप्त चर्चा में उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सलमान की शादी कब होगी, यह अल्ला मियां भी नहीं बता सकते। उन्होंने कहा कि हम तो चाहते हैं कि घर में बहू जल्दी आए लेकिन यह हमारे हाथ की बात नहीं है।
उन्होंने किशोर दा के बड़े भाई अशोक कुमार से अपने प्रगाढ़ संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि किशोर दा महान कलाकार थे और उनका कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि दादामुनि और दिलीप कुमार ने अभिनय को जो मुकाम दिया है, उसे कोई नहीं छू सकता। सलीम खान ने कहा कि दर्शकों को हताशा से बचाने के लिए फिल्मों में बदलाव की रफ्तार तेज करनी होगी।
उन्होंने कहा कि हाउसफुल बनाने की होड़ की बजाय अभिनय को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि पूर्व में फिल्में एक जन-आंदोलन का प्रतीक हुआ करती थीं, जिसमें आज बड़ी कमी आई है। उन्होंने कहा कि विकृत सिनेमा के साथ दर्शकों को लंबे समय तक बांधे रखना मुमकिन नहीं होगा। इसके लिए उत्कृष्ट सिनमा के साथ इसमें बदलाव लाया जाना चाहिए, ताकि फिल्म समाज को दिशा देने के साथ-साथ मनोरंजन भी कर सके।
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