मुंबई:
फिल्म 'रांझना' बनारस से जुड़ी एक प्रेम कहानी है। इसमें कुंदन (धनुष) है, जो बचपन से जोया नाम की लड़की से प्यार करता है। जोया का किरदार निभाया है, सोनम कपूर ने।
प्यार में लड़की का दिल जीतने की कोशिश, उसका पीछा करना, लड़की के घर के बाहर चक्कर लगाना और हाथ की नसें काटना ये सब कुछ फिल्म 'रांझना' में दिखेगा। इस फिल्म से हर युवा अपने आपको जोड़ सकता है, क्योंकि इस लव स्टोरी में मासूमियत है, और ज्यादातर युवाओं ने किसी न किसी का पीछा इतनी ही शिद्दत से किया होगा।
फिल्म 'तनु वेड्स मनु' के बाद डायरेक्टर आनंद एल राय ने दर्शकों की नब्ज पकड़ी है, जिसमें वे इश्क, जज्बात और कॉमेडी का थोड़ा तड़का लगाते हैं।
फिल्म के किरदार अच्छे हैं। बनारस के लड़के के रोल में धनुष खूब जमे हैं। हां, कहीं-कहीं लंबे डायलॉग्स में यह समझ में आ जाता है कि वह हिन्दी भाषी नही हैं, लेकिन परफॉर्मेंस लाजवाब है। फिल्म में अभय देओल युवा नेता के किरदार में जमे हैं।
बनारस की भाषा और लहजे पर खास ध्यान दिया गया है। एक-एक लाइन के डायलॉग्स पर खूब हंसी आती हैं। फिल्म का संगीत भी अच्छा है।
'रांझना' का पहला हिस्सा बहुत ही अच्छा है, जब तक यह फिल्म बनारस में है, प्यार को पाने का जुनून है, लेकिन दूसरे हिस्से में फिल्म की कहानी दिल्ली में पहुंचती है, जहां लगता है कि अब कोई दूसरी कहानी शुरू हो चुकी है। दिल्ली में पहुंचने के बाद भी कहानी से आप जुड़े तो रहेंगे, लेकिन दिल्ली की राजनीति थोड़ी लंबी हो गई, जिस वजह से इंटरवेल के बाद फिल्म थोड़ी खिंच गई है। 'रांझना' के लिए हमारी रेटिंग है, 3.5 स्टार्स।
प्यार में लड़की का दिल जीतने की कोशिश, उसका पीछा करना, लड़की के घर के बाहर चक्कर लगाना और हाथ की नसें काटना ये सब कुछ फिल्म 'रांझना' में दिखेगा। इस फिल्म से हर युवा अपने आपको जोड़ सकता है, क्योंकि इस लव स्टोरी में मासूमियत है, और ज्यादातर युवाओं ने किसी न किसी का पीछा इतनी ही शिद्दत से किया होगा।
फिल्म 'तनु वेड्स मनु' के बाद डायरेक्टर आनंद एल राय ने दर्शकों की नब्ज पकड़ी है, जिसमें वे इश्क, जज्बात और कॉमेडी का थोड़ा तड़का लगाते हैं।
फिल्म के किरदार अच्छे हैं। बनारस के लड़के के रोल में धनुष खूब जमे हैं। हां, कहीं-कहीं लंबे डायलॉग्स में यह समझ में आ जाता है कि वह हिन्दी भाषी नही हैं, लेकिन परफॉर्मेंस लाजवाब है। फिल्म में अभय देओल युवा नेता के किरदार में जमे हैं।
बनारस की भाषा और लहजे पर खास ध्यान दिया गया है। एक-एक लाइन के डायलॉग्स पर खूब हंसी आती हैं। फिल्म का संगीत भी अच्छा है।
'रांझना' का पहला हिस्सा बहुत ही अच्छा है, जब तक यह फिल्म बनारस में है, प्यार को पाने का जुनून है, लेकिन दूसरे हिस्से में फिल्म की कहानी दिल्ली में पहुंचती है, जहां लगता है कि अब कोई दूसरी कहानी शुरू हो चुकी है। दिल्ली में पहुंचने के बाद भी कहानी से आप जुड़े तो रहेंगे, लेकिन दिल्ली की राजनीति थोड़ी लंबी हो गई, जिस वजह से इंटरवेल के बाद फिल्म थोड़ी खिंच गई है। 'रांझना' के लिए हमारी रेटिंग है, 3.5 स्टार्स।
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