विज्ञापन
This Article is From Mar 02, 2012

ज़रूर देखें 'पान सिंह तोमर'...

मुंबई: ऐसे नौजवान की कहानी, जो गरीबी के कारण फौज में भर्ती होता है, भूख मिटाने के लिए रेस ट्रैक पर दौड़ता है, देश के लिए मेडल जीतता है, लेकिन एक दिन बंदूक उठाकर डाकू बन जाता है... दरअसल यह एक सच्ची घटना है, लेकिन इसमें हर फिल्मी मसाला मौजूद है... खेल है, जीत है, रोमांस है, एक्शन है, इमोशनल ड्रामा है और दुखी करने वाला 'द एंड' भी है... हम बात कर रहे हैं, शुक्रवार को रिलीज़ हुई फिल्म 'पान सिंह तोमर' की...

कहानी वर्ष 1958 से '70 के दौर की है, जिसमें 'पान सिंह तोमर' की ज़िन्दगी के कई रंग हैं... वह रोमांटिक है, और वफादार पति है, इमोशनल खिलाड़ी है, जो कोच की बेटी का घर बचाने के लिए लंबी रेस में नहीं दौड़ता, इंटरनेशनल रेस में महंगे जूतों के बजाय नंगे पैर दौड़ता है... जुल्मी रिश्तेदारों पर हाथ नहीं उठाता, बल्कि उनकी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है, लेकिन जब वह अपमान का घूंट पीकर डाकू बनता है, तो पान सिंह के साथ आपको भी गुस्सा आएगा... आपको उस पर तरस भी आएगा, जब वह दुश्मन को मारने से पहले अपनी मां और बेटे की पिटाई का हिसाब मांगेगा... आप उस वक्त हंसेंगे भी, जब फौजी बेटे से चुपचाप मिलते वक्त यह डाकू कहेगा, 'अब हम सिर्फ पापा नहीं रहे...'

गांव की कच्ची ज़मीन और चंबल के बीहड़, डायरेक्टर तिग्मांशु धूलिया ने जोरदार रिसर्च के साथ ढेरों बेहतरीन सीन क्रिएट किए हैं... डायलॉग्स इतने चुटीले हैं कि इस बेहद सीरियस सब्जेक्ट को भी आप हंसते हुए देखेंगे... इरफान खान की एक्टिंग बेहतरीन है... डायलॉग्स में ग्वालियर, भिंड, मुरैना की बोली है, इसलिए शहरी युवा डायलॉग्स बहुत ध्यान से सुनें... 'पान सिंह तोमर' ज़रूर देखिए... फिल्म के लिए हमारी रेटिंग है 4 स्टार...

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com