मुंबई:
इस हफ्ते रिलीज़ हुई है फिल्म 'फ्लाइंग जट्ट', जिसका निर्देशन किया है रेमो डिसूज़ा ने और अभिनय किया है टाइगर श्रॉफ, जैकलीन फर्नांडिस, अमृता सिंह, केके मेनन, नैथन जोन्स, गौरव पाण्डेय और मेहमान भूमिका में हैं श्रद्धा कपूर... फिल्म की कहानी लिखी है खुद रेमो डिसूज़ा ने...
कहानी की बात चली है, तो यह आप जानते ही हैं कि यह एक सुपरहीरो फिल्म है, लेकिन इस सुपरहीरो को पॉवर कैसे मिलती है, और यह सुपरहीरो जट्ट क्यों है, इसके लिए आप फिल्म खुद देखें, तो बेहतर होगा, क्योंकि अगर मैंने आपको बता दिया तो आपका मज़ा खत्म हो जाएगा... सो, मैं सीधे फिल्म की ख़ामियां और ख़ूबियां बता देता हूं, ताकि आपको फिल्म देखने या न देखने का फैसला करने में आसानी हो...
सबसे पहले बात करते हैं ख़ामियों की... 'फ्लाइंग जट्ट' की पहली ख़ामी है इसके स्पेशल इफेक्ट्स, जो थोड़े कमज़ोर नज़र आते हैं... एक तरफ हम जहां हॉलीवुड फिल्मों के बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स देखते हैं, उनकी तुलना में ये हल्के लगते हैं... इसके अलावा फिल्म के गानों ने उसे लंबा तो किया ही, गति पर भी ब्रेक लगा दी... इंटरवल के बाद फिल्म कुछ खिंचती हुई नज़र आती है और फिल्म जिस मजाकिया अंदाज़ के साथ आगे बढ़ रही थी, वह कहीं खोता जाता है... उस मज़ाकिया अंदाज़ का इसमें होना ज़रूरी था, क्योंकि वही रंग इस फिल्म को बाकी सुपरहीरो फिल्मों से अलग बना सकता था...
लेकिन यकीन मानिए, फिल्म की ख़ामियों पर उसकी खूबियां हावी हैं... सबसे पहली बात यह है कि 'फ्लाइंग जट्ट' एक बड़ा संदेश देती है कि किस तरह प्रदूषण धीरे-धीरे हमें खोखला करता जा रहा है, और अगर हमने इसे नहीं रोका तो हमें भारी नुकसान हो सकता है... सबसे अच्छी बात यह है कि निर्देशक ने बच्चों को ध्यान में रखकर फिल्म का निर्माण किया है, क्योंकि बच्चे इस देश का भविष्य हैं और उन्हें उनके स्तर पर जाकर यह बात समझानी ज़रूरी थी, जिसे रेमो ने बख़ूबी किया है...
दूसरी बात यह है कि फिल्म आपको मनोरंजन तो देती है, साथ ही अपनी बात भी सफलतापूर्वक दर्शकों तक पहुंचाती है... 'फ्लाइंग जट्ट' का सुपरहीरो सिर्फ देश के दुश्मनों से ही नहीं लड़ता, बल्कि छोटी-छोटी बातें भी आपको इशारों में समझाता है... मसलन कार चलाते वक्त सीटबेल्ट लगानी चाहिए, मोबाइल पर बात नहीं करनी चाहिए, बच्चों को लौकी खानी चाहिए, क्योंकि सुपरहीरो भी खाता है... सुपरहीरो यह भी समझाता है कि पेड़-पौधे पर्यावरण के लिए कितने ज़रूरी हैं, और यह सब समझाया जाता है मनोरंजन के डोज़ के साथ...
अभिनय की बात करें तो टाइगर को ज़्यादा एक्शन ही करना था, और बाकी सब भी फिट हैं... एक और बात यह है कि फिल्म सिख समुदाय का फलसफा भी समझाती है, जो रिस्की हो सकता था, लेकिन बेहद कुशलता से उसे अंजाम दिया निर्देशक ने...
तकनीकी बारीकियों को नज़रअंदाज़ करूं तो इस फिल्म को 3 स्टार दे सकता हूं, और फिल्म के ज़बरदस्त संदेश के लिए देने भी चाहिए, तो जाइए, अपने बच्चों के साथ यह फिल्म देखिए... मेरी ओर से बच्चों को ध्यान में रखते हुए इसकी रेटिंग है - 3 स्टार...
कहानी की बात चली है, तो यह आप जानते ही हैं कि यह एक सुपरहीरो फिल्म है, लेकिन इस सुपरहीरो को पॉवर कैसे मिलती है, और यह सुपरहीरो जट्ट क्यों है, इसके लिए आप फिल्म खुद देखें, तो बेहतर होगा, क्योंकि अगर मैंने आपको बता दिया तो आपका मज़ा खत्म हो जाएगा... सो, मैं सीधे फिल्म की ख़ामियां और ख़ूबियां बता देता हूं, ताकि आपको फिल्म देखने या न देखने का फैसला करने में आसानी हो...
सबसे पहले बात करते हैं ख़ामियों की... 'फ्लाइंग जट्ट' की पहली ख़ामी है इसके स्पेशल इफेक्ट्स, जो थोड़े कमज़ोर नज़र आते हैं... एक तरफ हम जहां हॉलीवुड फिल्मों के बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स देखते हैं, उनकी तुलना में ये हल्के लगते हैं... इसके अलावा फिल्म के गानों ने उसे लंबा तो किया ही, गति पर भी ब्रेक लगा दी... इंटरवल के बाद फिल्म कुछ खिंचती हुई नज़र आती है और फिल्म जिस मजाकिया अंदाज़ के साथ आगे बढ़ रही थी, वह कहीं खोता जाता है... उस मज़ाकिया अंदाज़ का इसमें होना ज़रूरी था, क्योंकि वही रंग इस फिल्म को बाकी सुपरहीरो फिल्मों से अलग बना सकता था...
लेकिन यकीन मानिए, फिल्म की ख़ामियों पर उसकी खूबियां हावी हैं... सबसे पहली बात यह है कि 'फ्लाइंग जट्ट' एक बड़ा संदेश देती है कि किस तरह प्रदूषण धीरे-धीरे हमें खोखला करता जा रहा है, और अगर हमने इसे नहीं रोका तो हमें भारी नुकसान हो सकता है... सबसे अच्छी बात यह है कि निर्देशक ने बच्चों को ध्यान में रखकर फिल्म का निर्माण किया है, क्योंकि बच्चे इस देश का भविष्य हैं और उन्हें उनके स्तर पर जाकर यह बात समझानी ज़रूरी थी, जिसे रेमो ने बख़ूबी किया है...
दूसरी बात यह है कि फिल्म आपको मनोरंजन तो देती है, साथ ही अपनी बात भी सफलतापूर्वक दर्शकों तक पहुंचाती है... 'फ्लाइंग जट्ट' का सुपरहीरो सिर्फ देश के दुश्मनों से ही नहीं लड़ता, बल्कि छोटी-छोटी बातें भी आपको इशारों में समझाता है... मसलन कार चलाते वक्त सीटबेल्ट लगानी चाहिए, मोबाइल पर बात नहीं करनी चाहिए, बच्चों को लौकी खानी चाहिए, क्योंकि सुपरहीरो भी खाता है... सुपरहीरो यह भी समझाता है कि पेड़-पौधे पर्यावरण के लिए कितने ज़रूरी हैं, और यह सब समझाया जाता है मनोरंजन के डोज़ के साथ...
अभिनय की बात करें तो टाइगर को ज़्यादा एक्शन ही करना था, और बाकी सब भी फिट हैं... एक और बात यह है कि फिल्म सिख समुदाय का फलसफा भी समझाती है, जो रिस्की हो सकता था, लेकिन बेहद कुशलता से उसे अंजाम दिया निर्देशक ने...
तकनीकी बारीकियों को नज़रअंदाज़ करूं तो इस फिल्म को 3 स्टार दे सकता हूं, और फिल्म के ज़बरदस्त संदेश के लिए देने भी चाहिए, तो जाइए, अपने बच्चों के साथ यह फिल्म देखिए... मेरी ओर से बच्चों को ध्यान में रखते हुए इसकी रेटिंग है - 3 स्टार...
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