
नई दिल्ली:
इस हफ़्ते एक और फिल्म 'चार साहिबज़ादे-राइज़िंग ऑफ़ बंदा सिंह बहादुर' भी रिलीज हुई है जो एक 3D एनिमेशन फ़िल्म है. यह 2014 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'चार साहिबज़ादे' का सीक्वल है जो उस वक्त काफ़ी सराही गई थी. इसके सीक्वल में अब आगे की कहानी है जहां सिखों के दसवें गुरू मुगलों से लोहा लेने के लिए बन्दा सिंह का चयन करते हैं और फिर किस तरह बन्दा सिंह पंजाब को मुग़लों के ज़ुल्म से आज़ादी दिलाते हैं.
यह फ़िल्म भी एक 3D फ़िल्म है और इसमें बतौर सूत्रधार आवाज़ दी है ओमपुरी ने. इस फ़िल्म की ख़ासियत है इसका एनिमेशन और इसका संगीत. मुझे इसका एनिमेशन अच्छा लगा जिसे 3D तकनीक और अधिक रोचक बनाती है, इतिहास के पन्नों से निकली यह कहानी आपको बांधे रखती है. फिल्म का इमोशन और एक्शन आपको एहसास नहीं होने देता कि आप एक एनिमेशन फ़िल्म देख रहे हैं, इस फ़िल्म में जो थोड़ी कमी मुझे लगी वह है इसका स्क्रीनप्ले क्योंकि फ़िल्म जब भी फ़्लैश बैक में जाती है आप थोड़ा उलझ जाते हैं और कहानी पर हल्का सा ब्रेक लग जाता है और फिर आपको याद करना पड़ता है कि आप फ्लैश बैक में हैं और अभी वापस आए हैं. मेरे हिसाब से जिन लोगों को इतिहास के इस हिस्से के बारे में पता है या जिन्हे नहीं मालूम उन सभी को यह फिल्म देखनी चाहिए. मुझे यह फिल्म अच्छी लगी और मैं दूंगा इस फ़िल्म को 3.5 स्टार्स.
यह फ़िल्म भी एक 3D फ़िल्म है और इसमें बतौर सूत्रधार आवाज़ दी है ओमपुरी ने. इस फ़िल्म की ख़ासियत है इसका एनिमेशन और इसका संगीत. मुझे इसका एनिमेशन अच्छा लगा जिसे 3D तकनीक और अधिक रोचक बनाती है, इतिहास के पन्नों से निकली यह कहानी आपको बांधे रखती है. फिल्म का इमोशन और एक्शन आपको एहसास नहीं होने देता कि आप एक एनिमेशन फ़िल्म देख रहे हैं, इस फ़िल्म में जो थोड़ी कमी मुझे लगी वह है इसका स्क्रीनप्ले क्योंकि फ़िल्म जब भी फ़्लैश बैक में जाती है आप थोड़ा उलझ जाते हैं और कहानी पर हल्का सा ब्रेक लग जाता है और फिर आपको याद करना पड़ता है कि आप फ्लैश बैक में हैं और अभी वापस आए हैं. मेरे हिसाब से जिन लोगों को इतिहास के इस हिस्से के बारे में पता है या जिन्हे नहीं मालूम उन सभी को यह फिल्म देखनी चाहिए. मुझे यह फिल्म अच्छी लगी और मैं दूंगा इस फ़िल्म को 3.5 स्टार्स.
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