जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फ़िल्म 'अब तक छप्पन-2' एक सीक्वल फ़िल्म है और कहानी इर्द गिर्द घूमती है एनकाउंटर स्पेशलिस्ट साधु अगाशे के इर्द गिर्द जो प्रेरित है दया नाइक से। इस फ़िल्म में भी साधु अगाशे को दोबारा फ़ोर्स में बुलाया गया है बिगड़े हुए हालात को फिर काबू में करने के लिए और फिर शुरू होता है साधु अगाशे का एनकाउंटर।
फ़िल्म 'अब तक छप्पन-2' से स्टन्टमैन एजाज़ गुलाब निर्देशन की दुनियां में कदम रख रहे हैं। फ़िल्म में एनकाउंटर के अलावा षडयंत्र और साधु अगाशे के इमोशन को भी दर्शाया है। पहली फ़िल्म की तरह साधु वैसा ही चुस्त है और वैसे ही एनकाउंटर स्क्वाड में थोड़ा हंसी मज़ाक है जो फ़िल्म को भारी होने से बचाता है, बस फ़र्क़ सिर्फ ये है कि थोड़े कलाकारों के चेहरे बदल गए हैं, साधु अगाशे थोड़े बूढ़े हो गए हैं और गैंगस्टर की परिभाषा थोड़ी बदली हुई दिखाई है। इस फ़िल्म में गैंगस्टर सिर्फ जाहिल या अनपढ़ नहीं है बल्कि पढ़े लिखे लोग हैं।
फ़िल्म का पेस अच्छा है, साथ ही नाना पाटेकर ने बेहतरीन अभिनय किया है। इस फ़िल्म में मनोरंजन भी ठीक ठाक है और क्लाइमेक्स बेहतरीन है। लेकिन अगर पहली 'अब तक छप्पन' से बराबरी करें तो ये फ़िल्म कमज़ोर है। कुछ नयापन नहीं है। आसुतोष रणा जिस तरह के अभिनेता हैं उस लिहाज़ से उनके पास करने को कुछ है ही नहीं।
अगर नाना पाटेकर के फैन हैं और इस तरह की फ़िल्म अच्छी लगती है तो आप एक बार 'अब तक छप्पन-2' को देख सकते हैं। हालांकि फ़िल्म में कुछ नया नहीं है फिर भी मैं इतना कह सकता हूं कि ये फ़िल्म आपको बोर नहीं करेगी। इस फ़िल्म को मेरी तरफ से 2.5 स्टार।
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