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This Article is From Oct 21, 2016

रिव्यू : '31 अक्टूबर' में गंभीर भूमिका में जंचे हैं वीर दास | 2.5 स्टार

रिव्यू : '31 अक्टूबर' में गंभीर भूमिका में जंचे हैं वीर दास | 2.5 स्टार
फिल्म '31 अक्टूबर' के एक दृश्य में सोहा अली खान.
मुंबई: फिल्म '31 अक्टूबर' पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों आधारित है जिसमें हज़ारों सिखों की जान गई थीं. फिल्म शुरू होती है 31 अक्टूबर की सुबह 6:15 मिनट से जब गुरुद्वारे में सेवा और लंगर की तैयारियां चल रही हैं. उसके बाद दिल्ली में क्या हुआ, कैसे हुआ ये सब दिखाया गया है. फिल्म में दविंदर सिंह अपने दोस्तों की मदद से अपने परिवार को किस तरह सुरक्षित जगह पर लेकर जाते हैं यही है फिल्म की पूरी कहानी.

फिल्म सच्ची घटना से प्रेरित है जिसे हैरी सचदेव और शिवाजी लोटन पाटिल ने सच्चाई से परदे पर उतरा है. हमने इंदिरा गांधी की हत्या केबाद भड़के दंगे के बारे में सिर्फ सुना है या अखबारों में पढ़ा है. यह फिल्म उस समय सिक्खों के खिलाफ हुई लोगों की मानसिकता और दुश्मनी को दिखाती है. यह फिल्म बताती है कि उस समय किस तरह पुलिस की सोच बदली थी और वे भी सिक्खों को मारना चाहते थे. यह फिल्म कुछ ऐसे लोगों की भी कहानी बताती है जो चारों ओर भड़के दंगे में भी सिक्खों को बचा रहे थे.

अभिनेता वीर दास अपनी कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस फिल्म में गंभीर भूमिका में वह बेहद जमे हैं. तजिंदर कौर की भूमिका में सोहा अली खान भी बहुत अच्छी लगी हैं. लाख लखविंदर सिंह, धीरज राणा और विनीत शर्मा जैसे कलाकारों ने अच्छा काम किया है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है.

फिल्म की खामियों की अगर बात करें तो कुछ दृश्यों को ड्रैमेटिक बना दिया गया है. जैसे परिवार को बचाने कोशिश में जुटे देविंदर का पुलिस के साथ एक दृश्य है जो बेहद फिल्मी लगता है, डॉक्टर के साथ वाला भी एक दृश्य है जो बिलकुल ऐसा ही लगता है. वहीं कुछ दृश्य खिंचे हुए से लगते हैं.

फिल्म में मनोरंजन नहीं है फिर भी आप इसे एक बार देख सकते हैं क्योंकि इसमें उस काले दिन की सच्ची तस्वीर है. इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार.

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