2006 मुंबई रेल धमाकों पर 9 साल बाद एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए 13 में से 12 आरोपियों को दोषी करार दिया है। 11 जुलाई 2006 को हुए इस बम धमाके में 189 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हुए थे।
इस आतंकवादी हमले ने सिर्फ मुंबई को ही नहीं पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। लोगों में गुस्सा था और अपने तरीके से इस हमले पर आक्रोश जताया जा रहा था। इस मुद्दे पर सिनेमा ने भी अपनी तरफ से बात रखी।
2008 में निर्देशक नीरज पांडे ने इन बम धमाकों पर आधारित 'अ वेन्ज़डे' फिल्म बनाई थी जिसमें नसीरुद्दीन शाह के साथ अनुपम खेर भी मुख्य भूमिका में थे। इस तरह के आतकंवादी हमलों से एक 'आम आदमी' को होने वाली तकलीफ और उसके गुस्से को बेहद ही सटीक तरीके से बयां करती इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया था।
फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने लोकल ट्रेन में सफर करने वाले एक साधारण से शख़्स की भूमिका निभाई है जिसे 2006 के बम धमाकों ने इतना विचलित कर दिया था कि वह खुद ही इस मामले से जुड़े आरोपियों को सज़ा देने के लिए मैदान में उतर पड़ता है। फिल्म में निर्देशक ने नसीर के किरदार के नाम या धर्म का अंत तक खुलासा नहीं करते हुए यह दिखाने की कोशिश की है कि इस तरह के हमले धर्म या जात पात को देखकर नुकसान नहीं पहुंचाते, यह आम आदमी को दर्द पहुंचाते हैं फिर वो किसी भी श्रेणी का क्यों न हो।
'अ वेन्ज़डे' के अलावा 2008 में ही 'मुंबई मेरी जान' फिल्म भी आई थी जो मुंबई ट्रेन धमाकों से प्रभावित हुईं 5 परिवारों की कहानी कहती है। फिल्म के निर्देशक निशिकांत कामत थे और परेश रावल, इरफान ख़ान, माधवन जैसे कलाकारों के साथ बनी इस फिल्म की पांचों कहानियां दर्शकों को सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह ट्रेन धमाकों ने अलग अलग परिवेश और धर्म से ताल्लुक रखने वाले इन किरदारों को मानसिक तौर पर हिला कर रख दिया है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं