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This Article is From Sep 26, 2014

फिल्म समीक्षा : 'चारफुटिया छोकरे' से मनोरंजन की उम्मीद ना रखें

फिल्म समीक्षा : 'चारफुटिया छोकरे' से मनोरंजन की उम्मीद ना रखें
मुंबई:

इस शुक्रवार रिलीज़ हुई है 'चारफुटिया छोकरे'। इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया है मनीष हरिशंकर ने। मुख्य भूमिका में हैं सोहा अली ख़ान, हर्ष मयार, शंकर मंडल, सीमा बिस्वास, ज़ाकिर हुसैन और मुकेश तिवारी।

फ़िल्म की कहानी बिहार के एक गांव के ऐसे तीन छोटी उम्र के लड़कों के बारे में है, जिन्हें परिस्थितियां अपराध जगत में धकेल देती हैं। इस गांव में आती हैं नेहा मालिनी यानी सोहा अली ख़ान, जो एक एनजीओ से जुड़ी हैं और इस गांव में स्कूल बनवाना चाहती हैं। यहां आकर उन्हें काफ़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मसलन बच्चों की तस्करी, भ्रष्टाचार और बाल मज़दूरी जैसे अपराध। सोहा अपराधियों से भिड़ती हैं।

फ़िल्म में अच्छा संदेश है। हालांकि निर्देशक को फ़िल्म बनाते वक्त थोड़ी और निडरता दिखानी चाहिए थी। फ़िल्म के गाने या फिर फ़िल्म की पुरानी रिवायतों से निर्देशक बच सकते थे। सोहा अपने किरदार में ठीक हैं। बाक़ी सभी क़िरदार एक जैसे लगते हैं।

फ़िल्म एक नाटक की तरह ज़्यादा दिखती है। डायलॉग दमदार नहीं। हालांकि फ़िल्म संदेश से नहीं भटकती। पर डायरेक्टर को एक अच्छे विषय के साथ फ़िल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले पर भी मेहनत करनी चाहिए थी। ख़ैर सिर्फ निर्देशक की ईमानदार कोशिश के लिए इस फिल्म को 2 स्टार्स

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