सोनू निगम ने नहीं पहना जूतों का हार, मौलवी ने किया 10 लाख देने से इनकार

सोनू निगम ने नहीं पहना जूतों का हार, मौलवी ने किया 10 लाख देने से इनकार

सोनू निगम ने अपना सिर मुंडवा लिया है.

नई दिल्ली:

सोनू निगम के खिलाफ फतवा जारी करने वाले पश्चिम बंगाल के मौलवी सैयद शा अतेल अली अल कादरी ने गायक को 10 लाख रुपये देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि सोनू निगम ने सभी शर्तें पूरी नहीं की इसलिए वह 10 लाख रुपये उन्हें नहीं देंगें. बताते चलें कि मौलवी ने फतवा जारी किया था कि जो सोनू निगम के सिर मूंडकर, उन्हें जूतों का हार पहनाकर देश में घुमाएगा उसे वह 10 लाख रुपये देंगे. इस फतवे के जवाब में सोनू निगम ने सिर मुंडाने का ऐलान किया और अपने घर में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर उन्होंने सेलिब्रिटी हेयर स्टाइलिस्ट आलिम हकीम से अपने बाल कटवा लिए.

यह विवाद सोमवार सुबह सोनू निगम के ट्वीट से शुरू हुआ. सोनू निगम ने अपने पहले ट्वीट में अजान की वजह से नींद खुलने की शिकायत की. अपने आगे के ट्वीट्स में सोनू निगम ने लिखा कि धर्म की जबरदस्ती बंद होनी चाहिए, उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें मंदिरों-मस्जिदों द्वारा तेज आवाज में गाने बजाने से भी आपत्ति है. सोनू ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को गुंडागर्दी बताया था.

सोनू के ट्वीट्स के बाद सोशल मीडिया में उन्हें ट्रोल किया जाने लगा. मंगलवार को उन्होंने अपने ट्वीट्स के जरिए यह साफ करने की कोशिश की कि वह किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं और न ही उनकी मंशा किसी धर्म का निरादर करने की है. उन्होंने कहा कि वह अपनी बात पर बने हुए हैं और धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को गलत मानते हैं. इसके बाद पश्चिम बंगाल के मौलवी ने सोनू निगम के खिलाफ फतवा जारी कर दिया. बुधवार सुबह सोनू निगम ने ट्विटर पर सिर मुंडाने की घोषणा की और मौलवी से दस लाख रुपये तैयार रखने को कहा था.

सोनू निगम द्वारा अपना सिर मुंडाने से पहले प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि वह मीडिया से उम्मीद करते हैं कि उनकी बात को अच्छे समझकर प्रस्तुत किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह बच्चों के लिए एक बेहतर देश बनाना चाहते हैं, वह चाहते हैं कि बच्चों को आज से थोड़ा बेहतर देश मिल सके. सोनू निगम ने यह भी कहा कि त्योहारों में ज्यादातर लोग धर्म के नाम पर शराब पीकर फिल्मी गानों पर सड़कों पर नाचते हैं, जिससे आम लोगों और पुलिस वालों को काफी परेशानी होती हैं. उन्होंने इसे धर्म की दादागिरी बताया था.


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