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This Article is From Aug 26, 2011

'चितकबरे-शेड्स ऑफ ग्रे' को 2 स्टार

Mumbai: 'चितकबरे-शेड्स ऑफ ग्रे' रवि किशन को छोड़कर ज्यादातर लोग जाने पहचाने नहीं है। कहानी कुछ कॉलेज फ्रेंड्स की है जो सालों बाद एक-दूसरे से मिलने पहुंचते है अपनी-अपनी पत्नियों को लेकर लेकिन तभी एक अनजान आदमी इन्हें बंधक बना लेता है और हर शख्स को अपने बुरे कामों का खुलासा करने को कहता है। कन्फेशन शुरू होते ही सारे दोस्तों के छुपे हुए राज उनकी बीवियों के सामने आ जाते हैं और अब बीवियों को अपने पतियों को बचाने के लिए फिरौती की रकम का इंतजाम करना है। 'चितकबरे' का पहला हाफ इंगेज रखता है लेकिन सेकेंड हाफ में फिल्म पकड़ खो देती है। डायरेक्टर सुनीत अरोड़ा ने कुछ बोल्ड सीन्स भी डाले हैं लेकिन लेकिन ये आर्ट कम और वल्गर ज़्यादा लगते हैं। बिना शक चितकबरे का कन्सेप्ट अच्छा है। कहानी संजय दत्त और जॉन एब्राहम की फिल्म 'जिंदा' की याद दिलाती है जहां एक स्कूली छात्र सालों बाद अपने सीनियर को बंधक बनाकर बहन की मौत का बदला लेता है लेकिन 'जिंदा' कहीं बेहतर फिल्म थी। काश चितकबरे को संजीदगी से और गहराई में जाकर फिल्माया जाता तो बेहतरीन ड्रामा सामने आता। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2 स्टार।

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