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This Article is From Nov 30, 2016

विश्‍व एड्स दिवस: फिल्‍में जिनकी कहानियों में छिपा है जरूरी संदेश

विश्‍व एड्स दिवस: फिल्‍में जिनकी कहानियों में छिपा है जरूरी संदेश
कई फिल्‍मों ने अपनी कहानियों में एड्स को बनाया है प्रमुख मुद्दा
नई दिल्‍ली: यूं तो फिल्‍में समाज का आइना कहलाती हैं, लेकिन सिनेमा के विषयों के बढ़ते दायरों ने कई ऐसे मुद्दे उठाए हैं जिनके उठाए जाने की सख्‍त जरूरत थी. ऐसा ही एक मुद्दा है एड्स. दुनियाभर में 1 दिसंबर को विश्‍व एड्स दिवस के तौर पर मनाया जाता है और लोगों तक इस जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास होता है. हालांकि सरकारी स्‍तर पर इस जागरूकता को बढ़ाने के लिए कई कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन इस दिशा में जो फिल्‍में कर गई, वह कोई नहीं कर सका.

फिल्‍मों ने कभी पूरे विषय के तौर पर तो कभी कहानी के एक हिस्‍से के रूप में एचआईवी वायरस\एड्स जैसे विषय पर अपनी बात रखी है. ऐसी ही कुछ फिल्‍मों के बारे में हम आज हम आपको बता रहे हैं. इस श्रेणी की पहली फिल्‍म है फिर मिलेंगे. सलमान खान, शिल्‍पा शेट्टी और अभिषेक बच्‍चन जैसे मेगा स्‍टारों से सजी इस फिल्‍म की कहानी एक एड्स पीड़िता के आसपास बुनी गई है. रेवती द्वारा निर्देशित इस फिल्‍म की अलोचकों ने काफी प्रशांसा की. हालांकि यह फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर कोई बड़ा कमाल नहीं कर सकी.

2005 में आई माई ब्रदर निखिल भी ऐसी ही एक फिल्‍म है जिसे अपने विषय के चलते काफी तारीफें मिली. जूही चावला, संजय सूरी और पूरब कोहली द्वारा अभिनीत यह फिल्‍म एक इंडियन एड्स एक्टिविस्‍ट डोमिनिक डीसूजा के जीवन से प्रेरित थी. इस फिल्‍म में संजय सूरी ने एक समलैंगिक तैराक की भूमिका निभाई थी जो एचआईवी से प्रभ‍ावित हो जाते हैं और उनकी इस लड़ाई में उनकी बहन और पार्टनर साथ देता है.

इसके अलावा साल 2007 में आई 68 पेजेस एक एचआईवी काउंसलर और उसके 5 मरीजों की कहानी है. श्रीधर रंगायन द्वारा निर्देशित इस फिल्‍म को कई अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों से नवाजा गया है. बेहद छोटे बजट की इस फिल्‍म को बॉलीवुड में ज्‍यादा पहचान नहीं मिली. इसके अलावा सन 2000 में आई महेश मांजरेकर की निदान भी इस श्रेणी की एक बहुत अच्‍छी फिल्‍म है.

इस श्रेणी में अगर शॉर्ट फिल्‍मों की बात करें तो मीरा नायर ने एड्स पर जागरूकता बढ़ाने के लिए 'एड्स जागो' नाम से चार शॉर्ट फिल्‍मों की एक सीरीज बनाई है. इन चार फिल्‍मों में मीरा नायर की 'माइग्रेशन', फरहान अख्‍तर की 'पॉजिटिव', संतोष शिवन की 'प्रारंभ' और विशाल भारद्वाज की 'ब्‍लड बदर्स' शामिल हैं. यह चारों ही शॉर्ट फिल्‍में एड्स से जुड़े मिथकों और भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करती हैं. इनमें प्रारंभ एक कन्‍नड़ फिल्‍म है.

 

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