नई दिल्ली:
चुनावी परिणामों के इंतजार की इस बेसब्री में आज वरुण धवन और आलिया भट्ट की फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनियां' रिलीज हुई है. यह फिल्म कहानी है बद्रीनाथ और वैदेही के प्यार की. वरुण धवन यानि बद्रीनाथ अपने प्यार आलिया भट्ट यानी वैदेही को अपनी दुल्हनियां बनाने की हर मुमकिन कोशिश करता है मगर वैदेही शादी के मंडप से भाग जाती है. वैदेही क्यों और कहाँ भागती है इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. इस फिल्म के अन्य पहलुओं पर बात करें तो फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनियां एक हल्की- फुल्की लव स्टोरी है जिसमें उत्तर प्रदेश के झांसी या यूं कहें कि भारत के छोटे शहर की झलक है जहां लोग रीती रिवाजों और परंपराओं से समझौता बहुत कम करते हैं.
करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस में बनी इस फिल्म में कॉमेडी का बेहतरीन तड़का है.य साथ ही इसमें थोड़े इमोशन और ड्रामा भी है. फिल्म का पहला भाग बहुत अच्छा है और इस हिस्से की रफ्तार भी तेज है. फिल्म में काफी सारी घटनाएं होती हैं और बद्रीनाथ अपनी दुल्हनियां को हासिल करने की जद्दोजहद कर रहा है. इस फिल्म में भी आलिया भट्ट और वरुण धवन की केमिस्ट्री काफी अच्छी है.
लेकिन फिल्म की कमजोरी है इसका सेकंड हाफ जो थोड़ा कमजोर पड़ा है. ऐसा लगा जैसे कहानी आगे बढ़ नहीं रही है उसे जबरदस्ती बढ़ाया जा रहा है. कई दृश्य अटपटे लगते हैं जैसे बद्रीनाथ का सिंगापोर में लड़ाई झगड़ा करना.
'बद्रीनाथ की दुल्हनियां' की खास बात ये है कि मजाक-मजाक में काफी सीरियस बातों पर भी तंज कस जाती है. जैसे कि कैसे आज के दौर में भी किस तरह बेटे के जन्म पर अच्छी क्वालिटी के लड्डू बांटे जाते हैं और बेटी के जन्म पर संस्ते पेड़े. किस तरह दहेज जैसी प्रथा आज भी कायम है और पढ़ी लिखी लड़की को ब्याहने के लिए भी दहेज की भारी रकम दी जाती है. यह फिल्म बताती हैं कि कैसे लड़के अपने परिवार के लिए एक संपत्ति या जरूरी चीज और लड़कियां परिवार के लिए एक जिम्मेदारी होती हैं. इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं 3 स्टार.
करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस में बनी इस फिल्म में कॉमेडी का बेहतरीन तड़का है.य साथ ही इसमें थोड़े इमोशन और ड्रामा भी है. फिल्म का पहला भाग बहुत अच्छा है और इस हिस्से की रफ्तार भी तेज है. फिल्म में काफी सारी घटनाएं होती हैं और बद्रीनाथ अपनी दुल्हनियां को हासिल करने की जद्दोजहद कर रहा है. इस फिल्म में भी आलिया भट्ट और वरुण धवन की केमिस्ट्री काफी अच्छी है.
लेकिन फिल्म की कमजोरी है इसका सेकंड हाफ जो थोड़ा कमजोर पड़ा है. ऐसा लगा जैसे कहानी आगे बढ़ नहीं रही है उसे जबरदस्ती बढ़ाया जा रहा है. कई दृश्य अटपटे लगते हैं जैसे बद्रीनाथ का सिंगापोर में लड़ाई झगड़ा करना.
'बद्रीनाथ की दुल्हनियां' की खास बात ये है कि मजाक-मजाक में काफी सीरियस बातों पर भी तंज कस जाती है. जैसे कि कैसे आज के दौर में भी किस तरह बेटे के जन्म पर अच्छी क्वालिटी के लड्डू बांटे जाते हैं और बेटी के जन्म पर संस्ते पेड़े. किस तरह दहेज जैसी प्रथा आज भी कायम है और पढ़ी लिखी लड़की को ब्याहने के लिए भी दहेज की भारी रकम दी जाती है. यह फिल्म बताती हैं कि कैसे लड़के अपने परिवार के लिए एक संपत्ति या जरूरी चीज और लड़कियां परिवार के लिए एक जिम्मेदारी होती हैं. इस फिल्म को हमारी तरफ से मिलते हैं 3 स्टार.
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