नई दिल्ली:
बॉलीवुड किसी को दूसरा मौका नहीं देता लेकिन अमिताभ बच्चन भाग्यशाली हैं, जिन्हें यह मौक मिला. यह कहना है 60 के दशक में बॉलीवुड की सुपरहिट एक्ट्रेस रही आशा पारेख का जिन्होंने अपनी आत्मकथा के विमोचन के मौके पर यह बातें कहीं. आशा पारेख की आत्मकथा 'द हिट गर्ल' का विमोचन सोमवार को मुंबई में सलमान खान ने किया. आशा पारेख की 1960 के दशक में एक के बाद एक फिल्में हिट रहीं लेकिन बाद के सालों में अच्छी भूमिकाओं के अभाव के चलते उन्होंने अभिनय से दूरी बना ली. आशा कहती हैं कि अभिनय की दुनिया में दूसरा मौका मिलना दुर्लभ है और ऐसा मौका केवल अमिताभ बच्चन को ही मिला. इस मौके पर आशा पारेख ने बताया कि कैसे बाद के दिनों में उन्हें सेट पर सुबह से शाम तक हीरो का इंतजार करना पड़ता था.
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार आशा पारेख ने कहा, 'मेरे पास काम कम हो गया, लोगों ने मुझसे मां की भूमिका के लिए सम्पर्क किया. मैंने कुछ भूमिकाएं की लेकिन मैं वह करके खुश नहीं थी. मैं इसको लेकर आश्वस्त नहीं थी कि जो मैं कर रही हूं वह सही है.' उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि एक फिल्म थी जिसमें मैंने उत्पीड़ित महसूस किया क्योंकि हीरो सुबह साढ़े नौ बजे की शिफ्ट के लिए शाम के साढ़े छह बजे आता था. इसमें मेरे लिए काम करना मुश्किल था.'
आशा पारेख ने कहा कि ऐसा कोई तरीका नहीं था मैं इन सब में स्वयं को फिट बैठा सकूं. मैं शॉट देने के लिए सुबह से शाम तक इंतजार नहीं करना चाहती थी. मैंने निर्णय किया कि मैं अब काम नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा, 'यह कोई मुश्किल निर्णय नहीं था. आपको जीवन में कुछ स्थितियां स्वीकार करनी होती हैं. मेरी उम्र हो रही थी और मैंने उसे अनुग्रह से स्वीकार कर लिया. श्रीमान बच्चन को दूसरा मौका मिला. वह भाग्यशाली हैं कि भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया.'
आशा पारेख ने बाल कलाकार के तौर पर फिल्म 'श्री चैतन्य महाप्रभू' में काम किया था.
(इनपुट भाषा से भी)
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार आशा पारेख ने कहा, 'मेरे पास काम कम हो गया, लोगों ने मुझसे मां की भूमिका के लिए सम्पर्क किया. मैंने कुछ भूमिकाएं की लेकिन मैं वह करके खुश नहीं थी. मैं इसको लेकर आश्वस्त नहीं थी कि जो मैं कर रही हूं वह सही है.' उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि एक फिल्म थी जिसमें मैंने उत्पीड़ित महसूस किया क्योंकि हीरो सुबह साढ़े नौ बजे की शिफ्ट के लिए शाम के साढ़े छह बजे आता था. इसमें मेरे लिए काम करना मुश्किल था.'
आशा पारेख ने कहा कि ऐसा कोई तरीका नहीं था मैं इन सब में स्वयं को फिट बैठा सकूं. मैं शॉट देने के लिए सुबह से शाम तक इंतजार नहीं करना चाहती थी. मैंने निर्णय किया कि मैं अब काम नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा, 'यह कोई मुश्किल निर्णय नहीं था. आपको जीवन में कुछ स्थितियां स्वीकार करनी होती हैं. मेरी उम्र हो रही थी और मैंने उसे अनुग्रह से स्वीकार कर लिया. श्रीमान बच्चन को दूसरा मौका मिला. वह भाग्यशाली हैं कि भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया.'
आशा पारेख ने बाल कलाकार के तौर पर फिल्म 'श्री चैतन्य महाप्रभू' में काम किया था.
(इनपुट भाषा से भी)
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