 
                                            अक्षय कुमार और एमी जैक्सन (फाइल फोटो)
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                मुंबई: 
                                        सर पर सरदारों वाली पगड़ी बांधने के बाद अक्षय कुमार अपने आपको शहंशाह की तरह महसूस करने लगते हैं। उन्हें महसूस होने लगता की वो किसी सलतनत के बादशाह हैं।
अक्षय कुमार ने फ़िल्म 'सिंह इस ब्लिंग' में सिख की भूमिका निभाई है और अक्षय कहते हैं, 'मैं पंजाबी हूं मगर सिख नहीं हूं। लेकिन जब जब में पगड़ी पहनता हूं कुछ अजीब सी कैफ़ियत महसूस होने लगती है। लगता है मैं शहंशाह हूं क्योंकि ये सरदारों की कौम बहुत ही दिलदार होती है और पगड़ी को बांधते ही वही एहसास मुझे होने लगता है।'
इस फ़िल्म के पूरी शूटिंग के दौरान अक्षय कुमार के साथ पगड़ी बांधने वाला कारीगर साथ रहता था जो बड़ी सफ़ाई से और सुंदरता से इस पगड़ी को अक्षय के सर पर बांधता था। अक्षय ने फ़िल्म प्रचार के दौरान बताया, 'एक आदमी शूटिंग के समय साथ होता था और आराम से वो पगड़ी बांधता था। करीब 10 से 15 मिनट लगते थे। मैंने कई बार कहा कि थोड़ा जल्दी करो तो वो कहता था कि पगड़ी तो मैं आराम से ही बांधूंगा। इस काम में मैं जल्दी नहीं करता।'
'सिंह इस ब्लिंग' की भूमिका निभाते समय अक्षय को सिर्फ़ शहंशाह का ही एहसास नहीं हुआ। अक्षय ने शूटिंग के दौरान गुरुद्वारा में जाकर जूते पॉलिश किये और लोगों की सेवा की। अक्षय ने हमसे बताया, 'बचपन से ही मैं सेवा भाव करता रहा हूं। अक्सर मेरी नानी मुझे गुरुद्वारा लेकर जाती थीं और मैं सेवा करता था। इस फ़िल्म के दौरान बचपन के दिन भी याद आए।'
गौरतलब है कि करीब 8 सालों बाद अक्षय ने फ़िल्म 'सिंह इस ब्लिंग' में सरदार की भूमिका निभाई है। इससे पहले अक्षय ने फ़िल्म 'सिंह इस किंग' में सिख की भूमिका निभाई थी।
                                                                        
                                    
                                अक्षय कुमार ने फ़िल्म 'सिंह इस ब्लिंग' में सिख की भूमिका निभाई है और अक्षय कहते हैं, 'मैं पंजाबी हूं मगर सिख नहीं हूं। लेकिन जब जब में पगड़ी पहनता हूं कुछ अजीब सी कैफ़ियत महसूस होने लगती है। लगता है मैं शहंशाह हूं क्योंकि ये सरदारों की कौम बहुत ही दिलदार होती है और पगड़ी को बांधते ही वही एहसास मुझे होने लगता है।'
इस फ़िल्म के पूरी शूटिंग के दौरान अक्षय कुमार के साथ पगड़ी बांधने वाला कारीगर साथ रहता था जो बड़ी सफ़ाई से और सुंदरता से इस पगड़ी को अक्षय के सर पर बांधता था। अक्षय ने फ़िल्म प्रचार के दौरान बताया, 'एक आदमी शूटिंग के समय साथ होता था और आराम से वो पगड़ी बांधता था। करीब 10 से 15 मिनट लगते थे। मैंने कई बार कहा कि थोड़ा जल्दी करो तो वो कहता था कि पगड़ी तो मैं आराम से ही बांधूंगा। इस काम में मैं जल्दी नहीं करता।'
'सिंह इस ब्लिंग' की भूमिका निभाते समय अक्षय को सिर्फ़ शहंशाह का ही एहसास नहीं हुआ। अक्षय ने शूटिंग के दौरान गुरुद्वारा में जाकर जूते पॉलिश किये और लोगों की सेवा की। अक्षय ने हमसे बताया, 'बचपन से ही मैं सेवा भाव करता रहा हूं। अक्सर मेरी नानी मुझे गुरुद्वारा लेकर जाती थीं और मैं सेवा करता था। इस फ़िल्म के दौरान बचपन के दिन भी याद आए।'
गौरतलब है कि करीब 8 सालों बाद अक्षय ने फ़िल्म 'सिंह इस ब्लिंग' में सरदार की भूमिका निभाई है। इससे पहले अक्षय ने फ़िल्म 'सिंह इस किंग' में सिख की भूमिका निभाई थी।
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