यह ख़बर 04 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

दर्शकों की प्रशंसा पाने के लिए काम करते हैं : इमरान खान

खास बातें

  • बॉलीवुड अभिनेता इमरान खान कहते हैं कि यह सिनेमा जगत का हिस्सा बनने के लिए सबसे उम्दा वक्त है, जब फिल्म जगत में इतने प्रतिभाशाली निर्माता और मजबूत कहानियां मौजूद हैं।
नई दिल्ली:

बॉलीवुड अभिनेता इमरान खान कहते हैं कि यह सिनेमा जगत का हिस्सा बनने के लिए सबसे उम्दा वक्त है, जब फिल्म जगत में इतने प्रतिभाशाली निर्माता और मजबूत कहानियां मौजूद हैं।

इमरान ने कहा, कई सारे युवा प्रतिभाशाली निर्देशक, निर्माता और कहानी लेखक दिन प्रतिदिन फिल्म जगत से जुड़ रहे हैं। आज के समय में जिस तरह की फिल्में बन रही हैं और जिस तरह से दर्शकों का सहयोग सिनेमा को मिल रहा है, हम उससे ज्यादा की उम्मीद नहीं कर सकते।

इमरान ने बताया, चाहे फिल्म 'मटरू की बिजली का मन्डोला' हो या 'देल्ही बेली', यदि आज से 10-15 साल पहले इस तरह की फिल्में बनतीं तो बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरतीं।

इमरान को फिल्मों में आए चार साल हुए हैं। उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता से स्वयं को सिनेमा जगत में साबित किया है। वह कहते हैं एक कलाकार दर्शकों का समर्थन और प्रशंसा पाने की चाहत रखता है और अपनी फिल्मों के माध्यम से उनकी भी कोशिश यही रही है।

इमरान ने कहा, एक अभिनेता हमेशा यह चाहता है कि वह कुछ अलग करे। हम दर्शकों की प्रशंसा के लिए ही काम करते हैं। हम चाहते हैं कि दर्शक फिल्मों में हमारे काम को पसंद करें हमारी भूमिकाओं को याद करें। हर कलाकार इसी बात की कोशिश करता है।

इमरान ने 2008 में फिल्म 'जाने तू या जाने ना' से बॉलीवुड में कदम रखा था। बाद में वह 'किडनैप', 'लक', 'आई हेट लव स्टोरी', 'देल्ही बेली', 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' और हाल में 'मटरू की बिजली का मन्डोला' में नजर आए।

वह कहते हैं कि वह ऐसी फिल्में चुनते हैं, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि एक दर्शक के रूप में उन्हें यह फिल्म पसंद आएगी। उन्होंने कहा, मैं खुद से यह सवाल पूछता हूं कि क्या मैं दर्शक होता तो यह फिल्म देखने जाना पसंद करता, यदि मुझे ऐसा लगता है तो मैं फिल्म के लिए हां कर देता हूं।

इमरान जल्द ही फिल्म 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई-2' में एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे।

हालांकि फिल्मों के व्यवसाय करने के तरीके में अब व्यापक बदलाव आ चुका है, पहले जहां फिल्म की सफलता सिनेमाघरों में उसकी रजत जयंती और स्वर्ण जयंती मनाने से तय की जाती थी। वहीं आजकल फिल्म प्रदर्शित होने के तीन दिनों में ही फिल्म की सफलता का अंदाजा लग जाता है।

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इमरान कहते हैं, 20 से 25 साल पहले तक फिल्मों की सिर्फ 300 प्रतियां प्रदर्शित की जाती थीं। आज कोई छोटी फिल्म भी 600 प्रतियों के  साथ प्रदर्शित की जाती है और बड़ी फिल्में तो 2500 से 3000 सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जाती हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि सिर्फ समय बदला है, बल्कि आज सिनेमा के पास दर्शक ज्यादा हैं।