मुंबई:
ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' में 'इमाम साहब' उर्फ 'रहीम चाचा' का प्रसिद्ध किरदार निभाने वाले बॉलीवुड के वयोवृद्ध अभिनेता अवतार किशन हंगल यानी एके हंगल अब नहीं रहे। उन्होंने रविवार सुबह आशा पारेख अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से बॉलीवुड में 'सन्नाटा पसर गया'। तमाम नेताओं व राजनेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।
हंगल का पार्थिव शरीर रविवार दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गया। हंगल के पुत्र विजय ने उन्हें मुखाग्नि दी। वह कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण लम्बे समय से बीमार थे। वह 97 वर्ष के थे।
हंगल के बेटे विजय (76) ने बताया, "मेरे पिता का सुबह नौ बजे के करीब निधन हो गया। उनकी मौत मुख्यरूप से उम्र सम्बंधित कारणों से हुई है। उनके फेफड़े कमजोर हो गए थे और काम करना बंद कर दिया था।" उन्होंने कहा, "मैं अपने पिताजी के निधन पर दुखी हूं। लेकिन कोई क्या कर सकता है, सभी को एक दिन जाना ही है।" हंगल का अंतिम संस्कार एक बजे विले पार्ले श्मशान घाट पर हुआ।
हंगल का इलाज कर रहे चिकित्सक कौलसौम हुसैन ने बताया, "वह कूल्हे की हड्डी टूट जाने से पीड़ित थे और उनके फेफड़े और गुर्दे के काम बंद कर देने के कारण उनकी मौत हो गई।"
हंगल के सांताक्रूज स्थित निवास पर उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया, "यह हमारे परिवार, उनके प्रशंसकों और पूरी फिल्म बिरादरी के लिए बड़ा झटका और नुकसान है।"
अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार हंगल बीती 16 अगस्त से कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण आशा पारेख अस्पताल में भर्ती थे। वह लम्बे समय से बुढ़ापे की बीमारियों से पीड़ित थे। अपनी पत्नी के निधन के बाद से वह अपने बेटे विजय के साथ रहते थे।
सियालकोट (पाकिस्तान) में पैदा हुए हंगल ने अपना अधिकांश बचपन पेशावर में बिताया था। वह एक दर्जी के रूप में बड़े हुए, लेकिन रंगमंच के जरिए उन्होंने अपनी प्यास बुझाई।
विभाजन के बाद वह 1949 में मुम्बई चले आए। वह वामपंथ से सम्बद्ध पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) से जुड़े हुए थे। इप्टा ने कभी बलराज साहनी, उत्पल दत्त, कैफी आजमी और कई अन्य को भी आकर्षित किया था।
हंगल ने 1966-67 में हिंदी फिल्मों में प्रवेश किया। उनकी शुरुआती फिल्मों में 'तीसरी कसम' और 'शागिर्द' शामिल हैं।
एक अभिनेता के रूप में सिनेमा के साथ उन्होंने अपनी शुरुआत 50 की उम्र में की थी, इसलिए भूमिकाओं के लिहाज से उनके पास बहुत विकल्प नहीं बचे थे। लेकिन उन्होंने खुशी-खुशी और पूरी जिम्मेदारी के साथ नायक और नायिकाओं के चाचा, पिता और दादा की भूमिकाएं निभाईं।
चरित्र अभिनेता के रूप में उन्हें 'शोले' में रहीम चाचा की भूमिका के लिए याद किया जाता है। उनकी कुछ यादगार फिल्मों में 'नमक हराम', 'शोले', 'बावर्ची', 'छुपा रुस्तम', 'अभिमान' और 'गुड्डी' शामिल हैं और 'शौकीन' में भला उनकी भूमिका को कौन भूल सकता है, जिसमें उन्होंने एक सेवानिवृत्त बूढ़े व्यक्ति की भूमिका निभाई थी।
हंगल की अधिकांश फिल्में देश के प्रथम सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ थीं, जिनका हाल ही में 18 जुलाई को निधन हो गया। हंगल ने राजेश खन्ना के साथ 'आपकी कसम', 'अमरदीप', 'फिर वही रात' और 'सौतेला भाई' में काम किया था।
हंगल अपने पुत्र विजय के साथ सांताक्रूज स्थित एक फ्लैट में रहते थे। वह आमिर खान की 'लगान' (2001) और शाहरुख खान की 'पहेली' (2006) में भी दिखे थे।
हंगल वर्ष 2011 में उस समय सुर्खियों में आ गए थे, जब यह बात सामने आई थी कि वह अपनी आय के साधन खत्म हो जाने के बाद आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके पास भोजन और दवाइयों तक के लिए पैसे नहीं बचे थे।
इसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे फिल्म उद्योग के बहुत से लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद की पेशकश की थी।
96 वर्ष की उम्र में उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर फैशन परेड की थी। 97 वर्ष की उम्र में उन्होंने एनिमेटेड फिल्म में अपनी आवाज दी और छोटे पर्दे के धारावाहिक 'मधुबाला' में नजर आए थे। इस तरह हंगल ने अंतिम सांस तक फन के प्रति अपना जुनून मरने नहीं दिया।
हंगल ने मई में जब 'मधुबाला' नामक टीवी शो में एक किरदार के लिए सहमति दी थी, तब उन्होंने कहा था, "मैं मानता हूं कि काम करने की कोई उम्र सीमा नहीं होती।" वह उस समय भी बीमार थे, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं थे।
बॉलीवुड से जुड़ी तमाम हस्तियों ने हंगल को श्रद्धांजलि दी। अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि हंगल के निधन के साथ एक युग का अंत हो गया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया।
हंगल का पार्थिव शरीर रविवार दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गया। हंगल के पुत्र विजय ने उन्हें मुखाग्नि दी। वह कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण लम्बे समय से बीमार थे। वह 97 वर्ष के थे।
हंगल के बेटे विजय (76) ने बताया, "मेरे पिता का सुबह नौ बजे के करीब निधन हो गया। उनकी मौत मुख्यरूप से उम्र सम्बंधित कारणों से हुई है। उनके फेफड़े कमजोर हो गए थे और काम करना बंद कर दिया था।" उन्होंने कहा, "मैं अपने पिताजी के निधन पर दुखी हूं। लेकिन कोई क्या कर सकता है, सभी को एक दिन जाना ही है।" हंगल का अंतिम संस्कार एक बजे विले पार्ले श्मशान घाट पर हुआ।
हंगल का इलाज कर रहे चिकित्सक कौलसौम हुसैन ने बताया, "वह कूल्हे की हड्डी टूट जाने से पीड़ित थे और उनके फेफड़े और गुर्दे के काम बंद कर देने के कारण उनकी मौत हो गई।"
हंगल के सांताक्रूज स्थित निवास पर उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया, "यह हमारे परिवार, उनके प्रशंसकों और पूरी फिल्म बिरादरी के लिए बड़ा झटका और नुकसान है।"
अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार हंगल बीती 16 अगस्त से कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण आशा पारेख अस्पताल में भर्ती थे। वह लम्बे समय से बुढ़ापे की बीमारियों से पीड़ित थे। अपनी पत्नी के निधन के बाद से वह अपने बेटे विजय के साथ रहते थे।
सियालकोट (पाकिस्तान) में पैदा हुए हंगल ने अपना अधिकांश बचपन पेशावर में बिताया था। वह एक दर्जी के रूप में बड़े हुए, लेकिन रंगमंच के जरिए उन्होंने अपनी प्यास बुझाई।
विभाजन के बाद वह 1949 में मुम्बई चले आए। वह वामपंथ से सम्बद्ध पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) से जुड़े हुए थे। इप्टा ने कभी बलराज साहनी, उत्पल दत्त, कैफी आजमी और कई अन्य को भी आकर्षित किया था।
हंगल ने 1966-67 में हिंदी फिल्मों में प्रवेश किया। उनकी शुरुआती फिल्मों में 'तीसरी कसम' और 'शागिर्द' शामिल हैं।
एक अभिनेता के रूप में सिनेमा के साथ उन्होंने अपनी शुरुआत 50 की उम्र में की थी, इसलिए भूमिकाओं के लिहाज से उनके पास बहुत विकल्प नहीं बचे थे। लेकिन उन्होंने खुशी-खुशी और पूरी जिम्मेदारी के साथ नायक और नायिकाओं के चाचा, पिता और दादा की भूमिकाएं निभाईं।
चरित्र अभिनेता के रूप में उन्हें 'शोले' में रहीम चाचा की भूमिका के लिए याद किया जाता है। उनकी कुछ यादगार फिल्मों में 'नमक हराम', 'शोले', 'बावर्ची', 'छुपा रुस्तम', 'अभिमान' और 'गुड्डी' शामिल हैं और 'शौकीन' में भला उनकी भूमिका को कौन भूल सकता है, जिसमें उन्होंने एक सेवानिवृत्त बूढ़े व्यक्ति की भूमिका निभाई थी।
हंगल की अधिकांश फिल्में देश के प्रथम सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ थीं, जिनका हाल ही में 18 जुलाई को निधन हो गया। हंगल ने राजेश खन्ना के साथ 'आपकी कसम', 'अमरदीप', 'फिर वही रात' और 'सौतेला भाई' में काम किया था।
हंगल अपने पुत्र विजय के साथ सांताक्रूज स्थित एक फ्लैट में रहते थे। वह आमिर खान की 'लगान' (2001) और शाहरुख खान की 'पहेली' (2006) में भी दिखे थे।
हंगल वर्ष 2011 में उस समय सुर्खियों में आ गए थे, जब यह बात सामने आई थी कि वह अपनी आय के साधन खत्म हो जाने के बाद आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके पास भोजन और दवाइयों तक के लिए पैसे नहीं बचे थे।
इसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे फिल्म उद्योग के बहुत से लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद की पेशकश की थी।
96 वर्ष की उम्र में उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर फैशन परेड की थी। 97 वर्ष की उम्र में उन्होंने एनिमेटेड फिल्म में अपनी आवाज दी और छोटे पर्दे के धारावाहिक 'मधुबाला' में नजर आए थे। इस तरह हंगल ने अंतिम सांस तक फन के प्रति अपना जुनून मरने नहीं दिया।
हंगल ने मई में जब 'मधुबाला' नामक टीवी शो में एक किरदार के लिए सहमति दी थी, तब उन्होंने कहा था, "मैं मानता हूं कि काम करने की कोई उम्र सीमा नहीं होती।" वह उस समय भी बीमार थे, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं थे।
बॉलीवुड से जुड़ी तमाम हस्तियों ने हंगल को श्रद्धांजलि दी। अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि हंगल के निधन के साथ एक युग का अंत हो गया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया।
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