फिल्म के मुख्य कलाकारों में से एक शिव पंडित (फाइल फोटो)
मुंबई:
इस हफ्ते फिल्म '7 आवर्स टु गो' रिलीज़ हुई है। इसे डायरेक्ट किया है सौरभ वर्मा ने। फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं शिव पंडित, संदीपा धर, वरुण बडोला, नताशा और बिपिन शर्मा। यह एक थ्रिलर फिल्म है जो शुरू होती है कोर्ट से जहां एक पूर्व इंस्पेक्टर अर्जुन राणावत ने 7 लोगों को बंदी बनाया है। मुंबई पुलिस से उसकी कुछ मांगे हैं जो उन्हें 7 घंटे में पूरी करनी है। अर्जुन के क़िरदार में हैं शिव पंडित।
खामियों और खूबियों की बात करें तो फिल्म की सबसे बड़ी खामी है कि यह न तो वास्तविकता के करीब है न ही काल्पनिक कहानी लगती है। फिल्म के विलेन के सिक्योरिटी सिस्टम उसकी बिल्डिंग की लेज़र सिक्योरिटी जैसी चीज़ें आपको अविश्वसनीय और बनावटी लगेंगी। हालांकि ऐसे अविश्वसनीय सीन्स 'धूम' या फिर कई हॉलीवुड फिल्मों में हम देखते आए हैं पर वहां फिल्म को अलग ढंग से बनाया जाता है। इस फिल्म की बात करें तो पुलिस, सात बंदी और एक अपराधी के साथ वाले सीन्स आपको वास्तविक लगेंगे बाकी सब काल्पनिक। यानी फिल्म एक सुर में नहीं है।
फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले में कई खामियां हैं। यह एक बदले की कहानी है पर यही साफ नहीं होता कि बदला आखिर क्यों और किस बात के लिए लिया जा रहा है। फिल्म का अंत जरा लंबा है और खिंचा हुआ सा दिखता है।
बात करें खूबियों की तो संदीपा धर और वरुण काफी पसंद आए। संदीपा की कास्टिंग जरा मुश्किल लगती है पर उनका अभिनय और एक्शन दोनों खाबिल-ए तारीफ हैं। वरुण एक बेफिक्र पुलिसवाले के रोल में छाप छोड़ते हैं। आरजे केतन भी एनरजेटिक एक्टर साबित हुए। हालांकि उनका किरदार कुछ देर के लिए फिल्म से फोकस हटाता दिखता है। फिल्म की रफ्तार अच्छी है और निर्देशक दर्शकों को बांधने में कामयाब रहते हैं।
'7 आवर्स टु गो' को मेरी ओर से 2.5 स्टार्स
खामियों और खूबियों की बात करें तो फिल्म की सबसे बड़ी खामी है कि यह न तो वास्तविकता के करीब है न ही काल्पनिक कहानी लगती है। फिल्म के विलेन के सिक्योरिटी सिस्टम उसकी बिल्डिंग की लेज़र सिक्योरिटी जैसी चीज़ें आपको अविश्वसनीय और बनावटी लगेंगी। हालांकि ऐसे अविश्वसनीय सीन्स 'धूम' या फिर कई हॉलीवुड फिल्मों में हम देखते आए हैं पर वहां फिल्म को अलग ढंग से बनाया जाता है। इस फिल्म की बात करें तो पुलिस, सात बंदी और एक अपराधी के साथ वाले सीन्स आपको वास्तविक लगेंगे बाकी सब काल्पनिक। यानी फिल्म एक सुर में नहीं है।
फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले में कई खामियां हैं। यह एक बदले की कहानी है पर यही साफ नहीं होता कि बदला आखिर क्यों और किस बात के लिए लिया जा रहा है। फिल्म का अंत जरा लंबा है और खिंचा हुआ सा दिखता है।
बात करें खूबियों की तो संदीपा धर और वरुण काफी पसंद आए। संदीपा की कास्टिंग जरा मुश्किल लगती है पर उनका अभिनय और एक्शन दोनों खाबिल-ए तारीफ हैं। वरुण एक बेफिक्र पुलिसवाले के रोल में छाप छोड़ते हैं। आरजे केतन भी एनरजेटिक एक्टर साबित हुए। हालांकि उनका किरदार कुछ देर के लिए फिल्म से फोकस हटाता दिखता है। फिल्म की रफ्तार अच्छी है और निर्देशक दर्शकों को बांधने में कामयाब रहते हैं।
'7 आवर्स टु गो' को मेरी ओर से 2.5 स्टार्स
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