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This Article is From Apr 28, 2013

'कयामत से कयामत तक' के 25 साल, यादों के झरोखे में जूही

मुंबई: अभिनेता आमिर खान और जूही चावला अभिनीत 1988 में एक फिल्म आई थी 'कयामत से कयामत तक'। इस ब्लॉकबस्टर फिल्म ने रिलीज के अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं। फिल्म की मुख्य अभिनेत्री जूही चावला को उस दौर की यादें, सेट्स पर बिताए गए पल अभी भी रोमांचित कर जाती हैं। जूही कहती हैं कि हममें से कोई भी नहीं जानता था कि 'फिल्म इतनी जबरदस्त हिट होगी'।

'कयामत से कयामत तक' (कसेकत) के निर्देशक मंसूर अली खान और अभिनेता आमिर खान ने इस फिल्म के जरिए बॉलीवुड में प्रवेश किया। वहीं 'सल्तनत' के जरिए बॉलीवुड में पांव रख चुकी जूही को 'कसेकत' से पहली बार पहचान मिली।

जूही कहती हैं, "मंसूर अली खान ने जिस दिन मुझे बुलाया, ठीक अगले दिन फिल्म के साथ जुड़ जाने को कह दिया। और.. जबरदस्त, देखते ही देखते इस फिल्म ने 25 साल पूरे कर लिए। (हंसते हुए) मैं अभी भी उन दिनों जितना खुद को युवा महसूस करती हूं।"

हालांकि इन गुजरे सालों में फिल्म के कुछ दिवंगत सदस्यों को जूही बहुत याद करती हैं।

जुही ने कहा, "अद्भुत बात है कि फिल्म अभी भी उतनी ही जीवंत और ताजगी से भरी है। 'गजब का ये दिन' और 'ऐ मेरे हमसफर' आज भी रोमांचित करता है। अफसोस कि इस गाने को लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी दुनिया में नहीं हैं। फिल्म के निर्माता नासिर हुसैन साहब भी गुजर चुके हैं।"

जूही को निर्देशक मंसूर खान के साथ दोबारा काम न कर पाने का भी अफसोस है। वह उन्हें 'परफेक्शनिस्ट' और सरल इंसान बताती हैं।

"जानते हैं, वास्तव में यह मेरी पहली फिल्म नहीं थी। मैं 'सल्तनत' में अभिनेता सन्नी देओल के साथ बॉलीवुड में कदम रख चुकी थी। लेकिन कोई भी मुझे इस फिल्म के लिए याद नहीं करता।"

'कयामत से..' की शूटिंग के लिए पहली बार ऊटी जाने वाली जूही बताती हैं, "तुलनात्मक तौर पर 'कसेकत' में हम सब नए थे। इसलिए साथ-साथ काम करना बहुत ही आरामदायक रहा। कोई तनाव नहीं, खिंची नसें नहीं, अहम का टकराव भी नहीं।"  

"मैं सुबह पांच बजे उठ जाती थी और मेक-अप कर शूटिंग के लिए पहुंच जाती थी। हम सब साथ-साथ रिहर्सल करते थे।"

जूही बताती हैं कि फिल्म में उनका संवाद बोलने का तरीका नासिर हुसैन का ख्याल था। "मैंने राजपूत घराने की लड़की की तरह बोला था। 'हम ये करेंगे, हम वो करेंगे' की शैली में।"

जूही और आमिर ने 'कयामत से..' के अलावा कई सारी फिल्में साथ कीं। लेकिन वह इस फिल्म को सबसे खास मानती हैं। हालांकि वह 'हम हैं राही प्यार के' और 'इश्क' के प्रति भी लगाव को प्रदर्शित करती हैं।

फिल्म के अंत के बारे में जूही कहती हैं, "हमने दो अंत शूट किए- दुखांत और सुखांत। क्या हम सब फिल्म का दुखांत चाहते थे? हमसे किसी ने भी नहीं पूछा। मुझे संदेह है कि आमिर से फिल्म के अंत के बारे में परामर्श लिया गया।"

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