मुंबई:
नामी-गिरामी लेखकों-साहित्यकारों और फिल्मकारों द्वारा देश में 'बढ़ती असहिष्णुता' के खिलाफ अपने पुरस्कार और सम्मान लौटाए जाने की कड़ी में बॉलीवुड फिल्मकार कुंदन शाह और सईद मिर्ज़ा समेत 24 लोग शामिल हो गए हैं। उन्होंने अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए हैं। इनके साथ ही इस मुद्दे को लेकर अब तक कम से कम 75 बुद्धिजीवी अपने राष्ट्रीय पुरस्कार या साहित्य सम्मान लौटा चुके हैं।
24 लोगों के नाम
इन 24 लोगों में वीरेंद्र सैनी, सईद मिर्ज़ा, कुंदन शाह, अरुंधति रॉय, रंजन पालित, तपन बोस, श्रीप्रकाश, संजय काक, प्रदीप कृष्ण, तरुण भरतिया, अमिताभ चक्रवर्ती, मधुश्री दत्ता, अनवर जमाल, अजय रैना, इरीन धर मलिक, पीएम सतीश, सत्यराय नागपाल, मनोज लोबो, रफीक इलियास, सुधीर पलसाने, विवेक सच्चिदानंद, सुधाकर रेड्डी यक्कांति, डॉ मनोज निथारवाल और अभिमन्यु डांगे शामिल हैं।
FTII के प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन
ये फिल्मकार पुणे स्थित भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के प्रदर्शनकारी छात्रों का भी मजबूती से समर्थन कर रहे हैं। इन छात्रों ने कुछ दिन पहले ही अपनी 136 दिन की हड़ताल को वापस ले लिया था। फिल्मकारों ने उनका साथ देते हुए कहा कि अब यह लड़ाई शिक्षा की अव्यवस्था से आगे बढ़कर 'असहिष्णुता, विभाजनकारी माहौल और नफरत' के खिलाफ भी हो गई है। अपने सम्मान लौटाते हुए 24 फिल्मकारों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, 'हमें उम्मीद है कि यह सांकेतिक भाव आपको हमारी इन आशंकाओं की ओर ध्यान देने की ओर मुखातिब करेगा कि हमारे मजबूत लोकतंत्र का तानाबाना मौजूदा माहौल में टूट सकता है।'
बीजेपी का जवाब
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने पुरस्कार लौटाने वालों पर पलटवार करते हुए कहा, 'मोदी सरकार के विकास के एजेंडे को पटरी से उतारने के प्रयास किए जा रहे हैं।' 'अवार्ड वापसी' कहे जा रहे इस अभियान को कुछ वर्गों से आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है, जो इसे सोचा समझा प्रदर्शन करार दे रहे हैं। लेकिन शाह ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि उनकी फिल्में उस समय की सरकार और कांग्रेस के खिलाफ भी थीं।
कुंदन शाह का बयान
राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फिल्म 'जाने भी दो यारों' बनाने वाले कुंदन शाह ने कहा, "आज के माहौल में नेशनल फिल्म अवार्ड जीतने वाली 'जाने भी दो यारों' बनाना नामुमकिन है... एक अंधकार-सा बढ़ता जा रहा है और इससे पहले कि इस अंधकार की स्याही पूरे देश में छा जाए, हमें आवाज़ बुलंद करनी होगी... यह कांग्रेस या बीजेपी की बात नहीं, क्योंकि हमारे लिए दोनों एक जैसे हैं... मेरा सीरियल 'पुलिस स्टेशन' कांग्रेस ने बैन किया था...' उन्होंने बताया कि पुरस्कार की राशि चैरिटी में दान दे दी जाएगी और ट्रॉफी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी जाएगी।
सईद मिर्जा ने भी लौटाया
उधर, 'अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है' के निर्देशक सईद मिर्ज़ा ने भी असहिष्णुता के खिलाफ अपना अवार्ड वापस करने का ऐलान किया है। सईद मिर्ज़ा को फिल्म 'मोहन जोशी हाज़िर हो' और 'नसीम' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मिर्जा ने कहा कि छात्रों ने जो आंदोलन शुरू किया था, वह अब बड़ा हो गया है और ‘असहनशीलता, विभाजन और नफरत’ के खिलाफ आंदोलन बन गया है।
गौरतलब है कि इन दोनों दिग्गजों से पहले दीपांकर बनर्जी, निष्ठा जैन तथा आनंद पटवर्धन समेत 11 अन्य फिल्मकार भी अपने अवार्ड वापस कर चुके हैं।
24 लोगों के नाम
इन 24 लोगों में वीरेंद्र सैनी, सईद मिर्ज़ा, कुंदन शाह, अरुंधति रॉय, रंजन पालित, तपन बोस, श्रीप्रकाश, संजय काक, प्रदीप कृष्ण, तरुण भरतिया, अमिताभ चक्रवर्ती, मधुश्री दत्ता, अनवर जमाल, अजय रैना, इरीन धर मलिक, पीएम सतीश, सत्यराय नागपाल, मनोज लोबो, रफीक इलियास, सुधीर पलसाने, विवेक सच्चिदानंद, सुधाकर रेड्डी यक्कांति, डॉ मनोज निथारवाल और अभिमन्यु डांगे शामिल हैं।
FTII के प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन
ये फिल्मकार पुणे स्थित भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के प्रदर्शनकारी छात्रों का भी मजबूती से समर्थन कर रहे हैं। इन छात्रों ने कुछ दिन पहले ही अपनी 136 दिन की हड़ताल को वापस ले लिया था। फिल्मकारों ने उनका साथ देते हुए कहा कि अब यह लड़ाई शिक्षा की अव्यवस्था से आगे बढ़कर 'असहिष्णुता, विभाजनकारी माहौल और नफरत' के खिलाफ भी हो गई है। अपने सम्मान लौटाते हुए 24 फिल्मकारों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, 'हमें उम्मीद है कि यह सांकेतिक भाव आपको हमारी इन आशंकाओं की ओर ध्यान देने की ओर मुखातिब करेगा कि हमारे मजबूत लोकतंत्र का तानाबाना मौजूदा माहौल में टूट सकता है।'
बीजेपी का जवाब
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने पुरस्कार लौटाने वालों पर पलटवार करते हुए कहा, 'मोदी सरकार के विकास के एजेंडे को पटरी से उतारने के प्रयास किए जा रहे हैं।' 'अवार्ड वापसी' कहे जा रहे इस अभियान को कुछ वर्गों से आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है, जो इसे सोचा समझा प्रदर्शन करार दे रहे हैं। लेकिन शाह ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि उनकी फिल्में उस समय की सरकार और कांग्रेस के खिलाफ भी थीं।
कुंदन शाह का बयान
राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फिल्म 'जाने भी दो यारों' बनाने वाले कुंदन शाह ने कहा, "आज के माहौल में नेशनल फिल्म अवार्ड जीतने वाली 'जाने भी दो यारों' बनाना नामुमकिन है... एक अंधकार-सा बढ़ता जा रहा है और इससे पहले कि इस अंधकार की स्याही पूरे देश में छा जाए, हमें आवाज़ बुलंद करनी होगी... यह कांग्रेस या बीजेपी की बात नहीं, क्योंकि हमारे लिए दोनों एक जैसे हैं... मेरा सीरियल 'पुलिस स्टेशन' कांग्रेस ने बैन किया था...' उन्होंने बताया कि पुरस्कार की राशि चैरिटी में दान दे दी जाएगी और ट्रॉफी सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सौंप दी जाएगी।
सईद मिर्जा ने भी लौटाया
उधर, 'अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है' के निर्देशक सईद मिर्ज़ा ने भी असहिष्णुता के खिलाफ अपना अवार्ड वापस करने का ऐलान किया है। सईद मिर्ज़ा को फिल्म 'मोहन जोशी हाज़िर हो' और 'नसीम' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मिर्जा ने कहा कि छात्रों ने जो आंदोलन शुरू किया था, वह अब बड़ा हो गया है और ‘असहनशीलता, विभाजन और नफरत’ के खिलाफ आंदोलन बन गया है।
गौरतलब है कि इन दोनों दिग्गजों से पहले दीपांकर बनर्जी, निष्ठा जैन तथा आनंद पटवर्धन समेत 11 अन्य फिल्मकार भी अपने अवार्ड वापस कर चुके हैं।
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