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रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने फ्रांसीसी रक्षा कॉन्ट्रैक्टर डीसीएनएस से हुए 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत भारतीय नौसेना के लिए भारत में ही बनाई जा रही स्कॉरपीन-क्लास पनडुब्बी की युद्धक क्षमता से जुड़ी गुप्त जानकारी वाले हज़ारों दस्तावेज़ लीक हो जाने के मामले में नौसेना प्रमुख से रिपोर्ट तलब की है.
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने ऑस्ट्रेलियाई समाचारपत्र द्वारा लीक की ख़बर दिए जाने के बाद कहा, "मुझे लगता है, यह हैकिंग का मामला है... सबसे महत्वपूर्ण यह पता लगाना है कि क्या यह हमसे जुड़ा है..." (देखें वीडियो रिपोर्ट)
रक्षामंत्री के अनुसार, उन्हें लीक के बारे में मंगलवार-बुधवार की आधी रात को पताा चला, और उन्हें दो दिन में विस्तृत जानकारी मिल जाने की उम्मीद है.
समाचारपत्र 'द ऑस्ट्रेलियन' ने कहा है कि उसे पनडुब्बी से जुड़ी गोपनीय जानकारी वाले लीक हो चुके 22,400 पृष्ठ, जिन पर 'रेस्ट्रिक्टिड स्कॉरपीन इंडिया' (Restricted Scorpene India) लिखा हुआ है, पढ़ने का मौका मिला है. ये पृष्ठ दरअसल पनडुब्बी के संचालन के लिए बनाए गए पूर्ण दस्तावेज़ (ऑपरेटिंग मैनुअल) का हिस्सा हैं. (देखें वीडियो रिपोर्ट)
3.5 अरब अमेरिकी डॉलर के इस सौदे के तहत बनने वाली कुल छह पनडुब्बियों में से पहली आईएनएस कलवरी इस समय मुंबई के मझगांव डॉक में बनाई जा रही है.
इन पनडुब्बियों को अपनी तरह की पनडुब्बियों में सबसे आधुनिक माना जाता है. ये पानी के भीतर इतनी कम आवाज़ करती हैं कि इनकी भनक लगना नामुमकिन न सही, बेहद मुश्किल ज़रूर होता है.
जो गोपनीय दस्तावेज़ अब सार्वजनिक हो चुके हैं, उनमें नई सबमरीन फ्लीट की युद्धक क्षमता के बारे में विस्तृत जानकारी मौजूद है. हज़ारों पृष्ठों में पनडुब्बी के सेंसरों के बारे में और कुछ हज़ार पृष्ठों में इसके संचार तथा नेवीगेशन सिस्टमों के बारे में विस्तार से बताया गया है. लगभग 500 पृष्ठों में सिर्फ टॉरपीडो लॉन्च सिस्टम के बारे में जानकारी दी गई है.
'द ऑस्ट्रेलियन' के अनुसार डीसीएनएस का कहना है कि संभव है कि दस्तावेज़ भारत में लीक हुए हों, फ्रांस में नहीं. हालांकि दैनिक ने कहा कि इन दस्तावेज़ों के बारे में माना जाता है कि वे वर्ष 2011 में फ्रांस से ही उस पूर्व फ्रांसीसी नौसेनाधिकारी ने निकाले, जो उस वक्त डीसीएनएस का सब-कॉन्ट्रैक्टर था.
समाचारपत्र के अनुसार, माना जाता है कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनी को ईमेल किए जाने से पहले ये दस्तावेज़ दक्षिणपूर्वी एशिया में मौजूद कंपनियों के ज़रिये इधर-उधर किए जाते रहे थे.
डीसीएनएस ने कहा है कि उन्हें ऑस्ट्रेलियन प्रेस में छपी ख़बरों के बारे में पता है, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है. डीसीएनएस के मुताबिक, "जांच में पता लगाया जाएगा कि किस तरह के दस्तावेज़ लीक हुए हैं, उनसे हमारे ग्राहकों को क्या-क्या नुकसान हो सकता है, और इस लीक के लिए कौन लोग दोषी हैं..."
गौरतलब है कि इसी पनडुब्बी के अन्य वेरिएंट मलेशिया और चिली इस्तेमाल करते हैं, और ब्राज़ील भी 2018 में इन्हीं को तैनात करने वाला है. इसके अलावा इसी साल अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया ने भी डीसीएनएस के साथ 50 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का सौदा किया है, लेकिन उनकी 12 शॉर्टफिन बैराकुडा पनडुब्बियों के लिए गुप्त युद्धक प्रणाली अमेरिका द्वारा दी जा रही है. (इनपुट एजेंसियों से भी)