बीएसपी की प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीट-बंटवारे के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच गए हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी। सपा के सूत्रों ने बताया कि यादव ने प्रस्तावित गठबंधन के अंतिम पहलुओं पर चर्चा करने के लिए यहां मायावती से मुलाकात की. हालांकि दोनों पार्टियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन सूत्रों का दावा है कि उत्तर प्रदेश की ये दोनों पार्टियां 37-37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. सूत्रों ने बताया कि शेष सीटों को कांग्रेस,राष्ट्रीय लोकदल और अन्य छोटी पार्टियों के लिए छोड़ा जायेगा. अगर यह महागठबंधन तैयार होता है तो बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी यह बड़ा झटका होगा.
10 बड़ी बातें
- सूत्रों ने बताया कि मायावती ने शनिवार को बीएसपी के संयोजकों की बैठक बुलाई है. बसपा और सपा जल्द ही अमेठी और रायबरेली के लिए महागठबंधन के प्रत्याशी तय कर सकती हैं. राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को यूपी के महागठबंधन में तीन सीटें दी जाने की संभावना है.
- लेकिन अखिलेश यादव और मायावती अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशी उतारने के मूड में नही हैं. अमेठी राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र है जबकि रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं.
- माना जाता है कि अखिलेश यादव और मायावती की अगले सप्ताह फिर मुलाकात होगी. फिलहाल सीटों के बंटवारे को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है. लेकिन सूत्रों का दावा है कि उत्तर प्रदेश की ये दोनों पार्टियां 37-37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.
- 15 जनवरी के बाद सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जा सकता है. यूपा के महगठबंधन में निषाद पार्टी, ओपी राजभर की पार्टी जैसी छोटी पार्टियों को भी शामिल किए जाने की संभावना है.कांग्रेस को इस महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया है
- मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एकमात्र विधायक को मंत्री न बनाए जाने पर अखिलेश यादव ने कांग्रेस को चेताते हुए कहा था कि ऐसा करके कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में रास्ता साफ कर दिया है.
- वहीं मायावती ने भी कहा था कि अप्रैल में हुए आंदोलन के दौरान अगर एसी समुदाय के लोगों पर जो मुकदमा दर्ज किए हैं उनको वापस नहीं लिया जाता है तो वह दोनों राज्यों (मध्य प्रदेश और राजस्थान) में समर्थन पर फिर विचार करेंगी.
- गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को सपा और बसपा मिलकर हरा चुकी हैं क्योंकि दोनों का वोट शेयर मिलतर बीजेपी से ज्यादा हो जाता है.
- विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 39.6% वोट मिले तो सपा और बीएसपी को 22 फीसदी. दोनों के वोटों को मिला दें तो 44 फीसदी हो जाता है. कांग्रेस को मात्र 6 फीसदी ही वोट मिले थे.
- बात करें लोकसभा चुनाव 2014 की तो बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 42.6% वोट मिले थे. सपा को 22 फीसदी और बीएसपी को 20 फीसदी से कम वोट मिले थे.
- वहीं एनडीएटी के कार्यक्रम 'मुक़ाबला' में लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस और बीएसपी के नेताओं में बहस हो गई. दोनों दल 2014 के सीटों के आधार पर 2019 में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर भिड़ गए.
इनपुट : भाषा