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शिवसेना में मचे घमासान के बीच, बागी एकनाथ शिंदे उठा सकते हैं ये 5 बड़े कदम

एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच इस बात पर भी तकरार जारी है कि आखिर शिवसेना पर अधिकार किसका होना है.

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एकनाथ शिंदे इन विकल्पों पर कर सकते हैं विचार
मुंबई:

शिवसेना में बीते कुछ दिनों से उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच आपसी खींचतान लगतार बढ़ती जा रही है. एक तरफ जहां बागी एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र सरकार को गिराने के लिए अपने साथ दो तिहाई से ज्यादा विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ सरकार बचाने की कोशिशों में जुटे हैं.एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच इस बात पर भी तकरार जारी है कि आखिर शिवसेना पर अधिकार किसका होना है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है आने वाले दिनों में एकनाथ शिंदे ये पांच बड़े फैसले ले सकते हैं...

  1. उद्धव ठाकरे गुट ने राज्य में मौजूदा राजनीतिक हालात के बीच 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. इस लिस्ट में एकनाथ शिंदे का नाम भी शामिल है. अगर इन विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो एकनाथ शिदें विधायक नहीं रह पाएंगे. ऐसे में राज्य में नई सरकार बनाने की कोशिश के उनके सारे प्रयास व्यर्थ हो सकते हैं. हालांकि, इस स्थिति में एकनाथ शिंदे के पास इस मामले को कोर्ट तक ले जाने का विकल्प है. 
  2. महाराष्ट्र के पूर्व प्रमुख सचिव अनंत कलसे के अनुसार एकनाथ शिंदे गवर्नर को पत्र लिखकर उनसे अविश्वास प्रस्ताव लाने को कह सकते हैं.लेकिन दलबदल कानून के तहत ये तभी संभव है जब शिंदे और उनके साथ के विधायक दो तिहाई आंकड़ों के साथ किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाएं. 
  3. यदि एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ भाजपा में विलय करते हैं तो शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत के लिए ये बड़े झटके की तरह होगा और इससे उद्धव ठाकरे का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. हालांकि, शिंदे बागियों के साथ निर्दलीय विधायक की पार्टी के साथ भी विलय कर सकते हैं. क्योंकि अभी शिंदे खेमें में दो निर्दलीय विधायक भी हैं. 
  4. अगर शिंदे गुट शिवसेना की बागडोर लेना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें चुनाव आयोग के पास जाना होगा. ऐसा करके वो पार्टी के निशान पर भी अपना दावा कर सकते हैं. हालांकि उद्धव ठाकरे का गुट पहले ही कह चुका है कि पार्टी का संविधान किसी को ऐसा करने की इजाजत नहीं देता. ऐसा कर पाना इसलिए भी संभव नहीं है कि क्योंकि उद्धव ठाकरे को जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है.
  5. एकनाथ शिंदे के पास एक विकल्प ये भी है कि वो उद्धव ठाकरे से बात करके इस गतिरोध को दूर सकते हैं. हालांकि, बीते कुछ दिनों में दोनों ही गुटो के बीच एक दूसरे को लेकर होती बयानबाजी को देखते हुए तो ऐसा नहीं लगता कि अब ये कभी साथ बैठकर बात कर पाएंगे. 

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