आरबीअई द्वारा रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती किए जाने की बाद अब बैंकों से सस्ते लोन की उम्मीद...
मुंबई:
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिजर्व बैंक ने बुधवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा में की. ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है, जिससे रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत रह गया है. आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर सात साल के सबसे निचले स्तर 6.0 फीसदी पर ला दिया है. रिवर्स रेपो रेट में भी 0.25 प्रतिशत की कटौती किए जाने से यह 5.75 फीसदी रह गया है. अब होम लोन तथा अन्य प्रकार के कर्ज लेने वाले लोगों को राहत मिलेगी. अब बारी बैंक की होगी और उम्मीद है कि वे ब्याज दरों में कमी करेंगे.
- आरबीआई द्वारा प्रमुख नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.0 प्रतिशत की गई.
- रिवर्स रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.75 प्रतिशत की गई. होम लोन तथा अन्य प्रकार के कर्ज लेने वाले लोगों को राहत मिल सकती है.
- खुदरा मुद्रास्फीति को सतत आधार पर 4 प्रतिशत पर रखने पर जोर. मुद्रास्फीति को लेकर कुछ जोखिम कम हुए हैं या घटित नहीं हुए हैं.
- चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया. निजी निवेश में नई जान डालने, बुनियादी ढांचा की बाधाओं को दूर करने तथा प्रधानमंत्री आवास योजना पर विशेष जोर देने की जरूरत.
- विदेशी मुद्रा भंडार 28 जुलाई को 392.9 अरब डालर पहुंचा.
- मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने 0.25 प्रतिशत कटौती के के पक्ष में मतदान किया.
- राज्यों द्वारा कृषि ऋण माफी से राजकोषीय लक्ष्य बिगड़ने और सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता घटने का जोखिम.
- सरकार, रिजर्व बैंक वसूली में फंसे बड़े कर्जों की समस्या के समाधान के लिये मिलकर काम कर रहे हैं.
- बैंकों और कंपनियों की बैलेंस शीट की कमजोरी से नये निवेश के प्रभावित होने की आशंका.
- एमपीसी की अगली बैठक आगामी तीन-चार अक्तूबर को.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)