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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बर्कले यूनिवर्सिटी में मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है. हिंसा का मतलब मुझसे बेहतर कौन जान सकता है. हिंसा में मैंने अपने पिता और दादी को खोया है. नोटबंदी को लेकर भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि संसद को अंधेरे में रखकर नोटबंदी लाई गई. नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है. राहुल ने साथ ही यह भी कहा कि वह पीएम पद का उम्मीदवार बनने को तैयार हैं. अगर पार्टी कहेगी तो जिम्मेदारी लूंगा.
मामले से जुड़ी 12 अहम जानकारियां
मैं पीएम पद का उम्मीदवार बनने को तैयार हूं. हमारी पार्टी में लोकतंत्र है और अगर पार्टी कहेगी तो मैं जिम्मेदारी लूंगा. (स्मृति ईरानी का राहुल गांधी को जवाब- एक नाकाम वंशवादी नरेंद्र मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं)
कश्मीर मुद्दे पर राहुल ने कहा कि 9 साल तक मैंने मनमोहन सिंह, चिंदबरम, जयराम नरेश के साथ मिलकर कश्मीर पर काम किया. उस समय कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था. 2013 में मैंने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को गले लगाकर कहा कि आपकी सबसे बड़ी सफलता कश्मीर में आतंकवाद को कम करना है. हमनें इस पर बड़े भाषण नहीं दिए, हमने वहां पर पंचायती राज पर काम किया, छोटे लेवल पर लोगों से बात की.
मैं विपक्ष का नेता हूं, लेकिन पीएम मोदी मेरे भी पीएम हैं. वह मुझसे अच्छे वक्ता है, वह लोगों को मैसेज देना जाते हैं. लेकिन वह बीजेपी नेताओं की भी नहीं सुनते. स्वच्छ भारत एक अच्छा कदम है. मुझे भी पसंद है.
संसद को अंधेरे में रखकर नोटबंदी लाई गई, नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई.
आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है. हिंसा का मतलब मुझसे बेहतर कौन जान सकता है क्योंकि इसमें मैंने अपनी दादी और पिता को खोया है.
जिन लोगों ने मेरी दादी को गोली मारी मैं उनके साथ बैडमिंटन खेलता था. जब आप अपनों को खोते हैं तो गहरी चोट लगती है.
कांग्रेस बीजेपी और आरएसएस की तरह नहीं है, मेरा काम लोगों को सुनना है और फिर निर्णय लेना है, बीजेपी ने लोगों से बात करना बंद कर दिया.
नरेगा और जीएसटी हमारा किया काम है जिस पर वर्तमान सरकार काम कर रही है.
हम सीनियर और जूनियर लोगों के बीच ब्रिज बना रहे हैं. हम अपने सीनियर लोगों को एकदम से साइड नहीं कर सकते. 2012 में हमसे गलतियां हुईं और लोगों ने हमसे दूरी बना ली.
हमने सूचना का अधिकार दिया, लेकिन मोदी सरकार ने इसे दबा दिया. अब सरकार में क्या हो रहा है, लोगों को नहीं पता.
सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं, उदारवादी पत्रकारों को गोली मार दी जा रही है...
ध्रुवीकरण की राजनीति खतरनाक है.