रूस और भारत के बीच अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए
गोवा:
गोवा में आज से शुरू हुए दो दिवसीय ब्रिक्स समिट के तहत रूस के प्रेजिडेंट व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दूसरे से गर्मजोशी से मिले और महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए. पीएम ने कहा- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोनों साथ हैं. आज ही पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात होनी है.
ब्रिक्स सम्मेलन से जुड़ी 10 खास बातें
- भारत के पीएम मोदी और रूस के प्रेजिडेंट पुतिन के बीच आज कई अहम समझौते हुए. भारत और रूस के बीच करीब 39000 करोड़ की लागत से 5 एस-400 'ट्रायंफ' वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हुआ.
- भारत और रूस के बीच 1 अरब डॉलर की हेलिकॉप्टर डील हुई. इसके तहत ही भारत में ही कामोव हेलीकॉप्टर बनाने के लिए संयुक्त उपक्रम स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा कुडनकुलम प्लांट के लिए भी समझौता हुआ और प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्रण की इकाई 3 और 4 की बुनियाद रखी. (पढ़ें इन समझौतों से जुड़ी खबर)
- वहीं आतंकवाद को लेकर पीएम मोदी ने कहा, हम सरहद पार आतंकवाद से निबटने के मुद्दे पर रूस की समझ और समर्थन की गहरी प्रशंसा करते हैं. आतंकवाद से निबटने की जरूरत पर रूस का स्पष्ट रुख हमारे अपने रुख को प्रतिबिंबित करता है.
- ब्राज़ील (Brazil), रूस (Russia), भारत (India), चीन (China) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa), यानी ब्रिक्स (BRICS) देशों के नेताओं के एक साथ जमा होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पाकिस्तानी आतंकवादियों की वजह से पेश आ रहे खतरे का ज़िक्र करने का मौका है, जिन्होंने पिछले महीने जम्मू एवं कश्मीर के उरी स्थित सेना के कैम्प पर हमला किया था, जिसमें 19 भारतीय फौजी शहीद हो गए थे.
- 29 सितंबर को नियंत्रण रेखा के पार जाकर पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक करने से पहले ही भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए राजनयिक स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए थे.
- शिखर सम्मेलन के अंतिम घोषणापत्र में 'आतंकवादी गुटों को पनाह देने और उन्हें हथियार मुहैया करने में मदद देने वाले देशों को अलग-थलग कर देने' की बात कही जाने की संभावना है.हालांकि इस बात की कम संभावना है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ऐसे किसी कदम में रुचि लेंगे, जिससे पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों को लेकर कोई संदेह पैदा हो.
- लेकिन चीन को इस बात की चिंता है कि पाकिस्तान से अरब सागर तक 46 अरब डॉलर की लागत से बनने वाले उसके आर्थिक गलियारे को पाकिस्तान में फैले आतंकवाद की वजह से खतरा हो सकता है. अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया पर ध्यान रखने वाले सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट माइकल कुजेलमैन का कहना है कि भले ही चीन सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान में जाकर कुछ भी कहे, लेकिन वह पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों में भी बहुत खुशनुमा साझीदार नहीं है.
- भारत उरी हमलों के बाद पश्चिमी देशों तथा रूस से समर्थन हासिल करने में कामयाब रहा था, अब ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बैठक भी होगी.
- उधर, आतंकवादी गुट जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित करवाने की भारत की कोशिशों को भी चीन ने ही नाकाम किया, चीन ने हाल ही में इस घोषणा पर तीन महीने के लिए कथित रूप से 'तकनीकी रोक' लगाई है.
- ब्रिक्स की स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी, और उसका उद्देश्य अपने बढ़ते आर्थिक व राजनैतिक प्रभाव से पश्चिमी देशों के आधिपत्य को चुनौती देना था. इसमें शामिल देशों, जिनकी संयुक्त अनुमानित जीडीपी लगभग 16,000 अरब अमेरिकी डॉलर है, ने वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा वर्ल्डबैंक की तर्ज पर अपना बैंक भी स्थापित किया, और वे जी-7 देशों की तर्ज पर ही अपने शिखर सम्मेलन आयोजित करते हैं. (इनपुट एजेंसियों से भी)