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बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा - नीतीश ने क्या ज़्यादा राजनीतिक रिस्क लिया है?

बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से इस बार बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि 6 सीट सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को मिली है.

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

पटना:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के लिए बिहार में एनडीए (NDA) के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. विधिवत रूप से एनडीए के कौन से घटक किस सीट पर लड़ेंगे उसकी घोषणा रविवार को पटना में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में की गयी. जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने एनडीए में सीटों के बंटवारे की घोषणा की. सीटों के बंटवारे के लिहाज से देखें तो सीमांचल की ज्यादातर सीटों पर JDU चुनाव लड़ेगी. जिसमें किशनगंज और भागलपुर भी शामिल हैं. छह सीटें रामविलास पासवान की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को मिली हैं. बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से इस बार बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि 6 सीट सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को मिली है.

बिहार एनडीए में सीटों के बंटवारे से जुड़ी खास बातें

  1. सीट बंटवारे में लोक जनशक्ति पार्टी के खाते में तीन आरक्षित सीटें हाजीपुर, समस्तीपुर और जमुई जो उन्होंने पिछली बार भी जीती थीं, इस बार भी उनके खाते में गई हैं. वहीं जेडीयू के खाते में जहां तक आरक्षित सीटों का सवाल है, तो गया और गोपालगंज की सीट मिली है. भाजपा को एक सासाराम की सीट आरक्षित सीटों की श्रेणी में मिली है. गया भाजपा की परंपरागत सीट रही है और गोपालगंज सीट पर जेडीयू जब वो सामान्य सीट थी या 2009 में आरक्षित हुई तब भी उसी पर उसके उम्मीदवार जीते थे.
  2. सीटों के इस बंटवारे में जेडीयू को जो सीटें मिली हैं उसमें 12 ऐसी सीटें हैं जिनपर पहले भी वो एक बार या उससे अधिक बार विजयी हुई है. लेकिन कई ऐसे सीटें हैं, जैसे किशनगंज, कटिहार, सिवान, भागलपुर और गया जहां पिछले चुनाव में उसके उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था.
  3. बीजेपी के खाते में जो 17 सीटें आई हैं वो सब ऐसी सीटें हैं जिनपर या तो पिछले चुनाव या उससे पूर्व से वो चुनाव जीतती आ रही है.
  4. इस बार नीतीश कुमार ने सीमांचल में किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया तीनों अपने झोले में करके राजनीतिक पंडितों के अनुसार एक बड़ा रिस्‍क लिया है क्योंकि ये तीन ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 35 प्रतिशत से अधिक है. लेकिन जेडीयू के नेताओं का कहना है कि यहां पर पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय के मतदाता भी अच्छी ख़ासी संख्या में हैं जो चुनाव में काफ़ी प्रभावी और निर्णायक भूमिका अदा करते हैं.
  5. सीटों के बंटवारे में नीतीश कुमार ने अधिकांश वैसी सीटें ली हैं जिस पर पिछड़ी जाति या अतिपिछड़ी जाति के उम्मीदवारों का लड़ना तय है. जैसे बाल्मिकी नगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, मधेपुरा और काराकाट.
  6. वहीं BJP के खाते में अधिकांश वैसी सीटें हैं जहां से उम्मीदवार अगड़ी जाति का होगा. जैसे मोतिहारी, महाराजगंज, छपरा, आरा, बक्सर, औरंगाबाद, बेगुसराय और दरभंगा.
  7. वहीं BJP जो अब नीतीश कुमार के साथ है, हमेशा अतिपिछड़े वोटों को अपनी ओर लुभाने की कोशिश करती है. लेकिन इस बार उसके पास इस वर्ग से उम्मीदवार खड़ा करने का विकल्‍प केवल मुज़फ़्फ़रपुर और अररिया सीट पर है.
  8. रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी मुंगेर के बदले नवादा सीट मिलने से निश्चित रूप से ख़ुश होगी क्योंकि यहां से वह पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी और निवर्तमान सांसद वीणा देवी को चुनाव मैदान में उतार सकती है.
  9. भारतीय जनता पार्टी के पास दरभंगा और पटना साहिब के अलावा मधुबनी ही एक ऐसी सीट है जहां से वो नया उम्मीदवार खड़ा करने की सोच सकती है. जहां दरभंगा और पटना साहिब से निवर्तमान सांसद कीर्ति आज़ाद और शत्रुघ्‍न सिन्हा पार्टी से अपने रवैये के कारण या तो बागी हैं या छोड़ चुके हैं. वहीं मधुबनी सीट पर वर्तमान सांसद हुकुमदेव नारायण यादव की पुरज़ोर कोशिश है कि अब उनके बदले उनके बेटे पूर्व विधायक अशोक यादव को टिकट दिया जाए.
  10. सीटों के बंटवारे से साफ़ है कि जहां नीतीश कुमार पिछड़ों, अति पिछड़ों और मुस्लिम मतदाताओं पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं वहीं उनकी कोशिश है कि भाजपा अगड़ी जातियों के बीच सिमटी रहे.

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