डीएमके प्रमुख और दक्षिण भारत के दिग्गज नेता एम करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने को लेकर विवाद जारी है. डीएमके की याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट में आधी रात को सुनवाई हुई. हालांकि कोर्ट ने मामले को सुबह 8 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया है. इस मामले में तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट से जवाब देने के लिए अधिक समय की मांग की है. दरअसल, डीएमके ने करुणानिधि के निधन के बाद मरीना बीच पर उन्हें दफनाने के लिए जमीन की मांग की थी. तमिलनाडु सरकार ने मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया था. सरकार ने करुणानिधि को दफनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी और के कामराज के स्मारकों के समीप जगह देने की पेशकश की थी. डीएमके इस पर राजी नहीं हुई और इस मामले पर सियासी उठापटक शुरू हो गई.
दफनाने पर क्यों है विवाद
- मद्रास हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हुलुवादी जी रमेश की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच सुबह मामले को सुनेगी. इसी बेंच ने देर रात को घर पर डीएमके की याचिका पर सुनवाई की थी. 94 वर्षीय करुणानिधि के देहांत के बाद तमिलनाडु में सात दिन के शोक की घोषणा की गई है. इस दौरान तिरंगा आधा झुका रहेगा और सारे सरकारी कार्यक्रम रद्द रहेंगे. कार्यालय, संस्थान आदि भी बंद रहेंगे.
- 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि को तबीयत बिगड़ने के बाद 28 जुलाई को चेन्नई के कावेरी कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कल शाम 6 बजकर 10 मिनट पर करुणानिधि का निधन हुआ. करुणानिधि दक्षिण भारत के दिग्गज नेता था. तमिलनाडु की राजनीति में उनका करीब 6 दशकों तक दखल रहा. एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता के अलावा वह इकलौते ऐसे नेता थे जिन्होंने हर वर्ग में अपनी जगह बनाई.
- तमिलनाडु सरकार ने पहले मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया था. सरकार का कहना था कि मरीना बीच को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में तमाम केस चल रहे हैं और कानूनी अड़चने हैं. हालांकि सरकार के जमीन देने से इनकार करने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया. डीएमके इस मामले को लेकर रात में ही अदालत पहुंची और देर रात को इस मामले की सुनवाई हुई.
- तमिलनाडु सरकार ने करुणानिधि को दफनाने के लिए मरीना बीच की जगह गांधी मंडपम में जगह देने की पेशकश की थी. यहां पूर्व मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी और के कामराज के स्मारक भी हैं. हालांकि डीएमके तमिलनाडु सरकार के इस प्रस्ताव पर राजी नहीं हुई थी.
- अभी तक सिर्फ दो मुख्यमंत्रियों को दफनाने के लिए मरीना बीच पर जगह मिली है. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुराई और एमजी रामचंद्रन शामिल हैं. आपको बता दें कि सीएन अन्नादुराई ने डीएमके की स्थापना की थी. तो वहीं एमजी रामचंद्रन एआईएडीएमके के संस्थापक हैं.
- 2016 में जयललिता के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी मरीना बीच पर ही किया गया. हालांकि वॉटर फ्रंट से 500 मीटर के दायरे में किसी निर्माण की रोक थी. ऐसे में जयललिता का अंतिम संस्कार उनके गुरु रहे एमजी रामचंद्रन के मेमोरियल में ही हुआ. जो पहले से ही वहां था.
- अब डीएमके कह रही है कि इसी फॉर्मूले से करुणानिधि को दफनाने की भी छूट मिले. पार्टी का कहना है कि हम अभी तत्काल मेमोरियल की मांग नहीं कर रहे हैं. सिर्फ इतनी मांग है कि करुणानिधि को उनके मेंटर रहे अन्नादुराई के निकट दफनाया जाए.
- इस मामले पर सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या वो इसके लिए तैयार थे? कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में एक-एक मिनट की देरी से राज्य सरकार के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार द्वारा करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने के लिए जगह देने से इनकार करने के बाद से ही उनके प्रशंसक और पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है.
- राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, डी राजा समेत कई विपक्षी नेताओं और अभिनेता रजनीकांत ने भी डीएमके की मांग का समर्थन किया है और तमिलनाडु सरकार से मरीना बीच पर दिवंगत नेता के लिए जगह आवंटित करने की अपील की है. गौरतलब है कि कुछ खबरों में यह भी कहा गया कि सरकार मरीना बीच पर करुणानिधि को दफनाने के लिए इसलिए जगह देने को तैयार नहीं है क्योंकि वह वर्तमान मुख्यमंत्री नहीं थे.
- करुणानिधि के निधन के बाद राष्ट्रपति, पीएम समेत तमाम बड़े नेताओं ने शोक प्रकट किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने ट्वीट किया श्री एम करुणानिधि के बारे में सुनकर दुख हुआ. कलइनार के नाम से लोकप्रिय वह एक सुदृढ़ विरासत छोड़ कर जा रहे हैं जिसकी बराबरी सार्वजनिक जीवन में कम मिलती है. दूसरी तरफ, पीएम अंतिम संस्कार में भाग लेने तमिलनाडु भी जाएंगे.