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जीएसटी से जुड़े चारों बिल लोकसभा में पास - 10 खास बातें

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नई दिल्ली:

आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी से जुड़े चार सहायक बिलों पर लोकसभा में बहस शुरू होने से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने NDTV से बातचीत करते हुए कहा कि नई टैक्स व्यवस्था को लागू करने के लिए 1 जुलाई की डेडलाइन 'वास्तविक लगने लगी है...' संसद के निचले सदन में बहस की शुरुआत करते हुए अरुण जेटली ने चारों बिलों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए जीएसटी को 'भारतीय विधायिका का अनूठा अनुभव' करार दिया. इन बेहद अहम बिलों पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी लोकसभा में मौजूद हैं.

जीएसटी बिल पर लोकसभा में बहस से जुड़ी 10 खास बातें...

  1. जीएसटी से जुड़े चारों बिल लोकसभा में पास हो गए हैं जिससे इसके 1 जुलाई से लागू होने का रास्‍ता एक तरह से साफ हो गया है. इससे पहले लोकसभा में चर्चा के दौरान अरुण जेटली के बाद विपक्ष की ओर से सबसे पहले बोलते हुए कांग्रेस नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने बिलों में मौजूद उन कमियों की ओर ध्यान दिलाया, जिन्हें उनकी पार्टी के मुताबिक दूर किया जाना चाहिए. उन्होंने एन्टी-प्रॉफिटीयरिंग क्लॉज़ के 'बेहद निरंकुश' भी करार दिया.
  2. वीरप्पा मोइली ने कहा, "मैं इसे गेमचेंजर नहीं कह सकता... सिर्फ एक छोटा-सा कदम कहूंगा..." उन्होंने सरकार पर संसद के उच्च सदन राज्यसभा को दरकिनार करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "राज्यसभा देश के राज्यों की परिषद है, फिर भी उसके पास अहम बिलो पर चर्चा करने का अधिकार नहीं है... यह संघीय व्यवस्था पर प्रहार है, हमला है - सो, मेरा कहना है कि राज्यसभा के सभी सदस्यों को इस्तीफा दे देना चाहिए..."
  3. सरकार के पास लोकसभा में खासा बहुमत है, सो, यहां ये बिल आसानी से पारित हो जाने की संभावना है. उसके बाद बिलों को राज्यसभा में चर्चा के लिए भेजा जाएगा, लेकिन चूंकि ये धन-संबंधी विधेयक के रूप में पेश किए गए हैं, इसलिए राज्यसभा, जहां विपक्ष बहुमत में है, सिर्फ बदलाव के सुझाव दे सकती है, और उन्हें फिर लोकसभा के समक्ष लाया जाएगा. लोकसभा के पास उन सुझावों को मंज़ूर या खारिज करने का अधिकार है.
  4. वैसे, कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियों द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर भी बुधवार को ही बहस के बाद वोटिंग करवाई जाएगी, लेकिन अगर वे खारिज हो जाते हैं, जिसकी विपक्ष के कम संख्याबल के चलते पूरी संभावना है, तो उन्हें कानून में शामिल नहीं किया जाएगा.
  5. सरकार ने ज़ोर देकर कहा है कि सरकार इन बिलों को सभी पार्टियों की सहमति से संसद में पारित करवाना चाहती है, जिस तरह पिछले साल अगस्त में उस संविधान संशोधन बिल को पारित करते वक्त सत्तापक्ष तथा विपक्ष एकजुट हो गया था, जिसके ज़रिये जीएसटी को लागू करने का रास्ता बनाया गया था.
  6. अरुण जेटली ने भी कहा कि उन्हें सदन में बुधवार को वोटिंग के दौरान आम सहमति बन जाने का पूरा भरोसा है.
  7. बहस के बाद इन चारों बिलों में शामिल लगभग 250 क्लॉज़ (धाराओं) को एक-एक कर वोटिंग के लिए रखा जाएगा, और उनके बाद अलग-अलग पार्टियों द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर वोटिंग करवाई जाएगी.
  8. यदि सरकार जीएसटी को लागू करने के लिए 1 जुलाई की डेडलाइन को हासिल करना चाहती है, तो सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि बिलों को पारित करने की सारी प्रक्रिया 12 अप्रैल से पहले पूरी हो जाए, क्योंकि इसी दिन संसद का बजट सत्र समाप्त हो जाएगा. इससे पहले 1 अप्रैल की डेडलाइन पर जीएसटी को लागू करना संभव नहीं हो पाया था.
  9. बुधवार को जिन बिलों पर लोकसभा में बहस हो रही है, वे हैं - सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी), इन्टीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी), यूनियन टेरिटरीज़ जीएसटी (यूटीजीएसटी) तथा जीएसटी मुआवज़ा कानून. इन बिलों को संसद से मंज़ूरी मिल जाने के बाद राज्य जीएसटी बिल राज्य विधानसभाओं में पेश किए जाएंगे.
  10. आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े कर सुधार जीएसटी के बाद बहुत-से केंद्रीय तथा राज्यीय अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे, और 'एक देश - एक कर' व्यवस्था स्थापित कर देने वाले जीएसटी से देश की आर्थिक वृद्धि में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है, तथा माना जा रहा है कि इससे राजस्व का दायरा बढ़ जाएगा, व कंपनियों की लागत कुछ कम होगी.

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