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चुनावी रणनीतिकार से राजनेता तक का सफर, प्रशांत किशोर से जुड़ी 10 खास बातें

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के साथ थे. इसके बाद वे बिहार की तरफ मुड़े और महागठबंधन के साथ जुड़ गए.

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प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) 2014 में भाजपा के लिए काम कर चुके हैं.
नई दिल्ली:

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) अब पर्दे के पीछे नहीं बल्कि मंच पर 'अभिनय' करते दिखेंगे. उन्होंने राजनीति में एंट्री ले ली है और अपने सियासी सफर की शुरुआत बिहार से करने जा रहे हैं. प्रशांत किशोर आज पटना में जेडीयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार की मौजूदगी में जनता दल यूनाइटेड (JDU) में विधिवत रूप से शामिल होंगे. खबर है कि खुद बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार जेडीयू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलवाएंगे. आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही खबर आई थी कि प्रशांत किशोर सक्रिय सियासी पारी शुरू कर सकते हैं, हालांकि उन्होंने खुद बाद में इनकार कर दिया था, लेकिन आज ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. आइये जानते हैं प्रशांत किशोर से जुड़ी खास बातें. 

प्रशांत किशोर से जुड़ी खास बातें

  1. प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का जन्म साल 1977 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ. प्रशांत के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से चिकित्सक हैं और बक्सर में मेडिकल सुपरिटेंडेंट भी रह चुके हैं. वहीं मां इंदिरा पांडे हाउस वाइफ हैं. 
  2. प्रशांत किशोर के बड़े भाई अजय किशोर पटना में रहते हैं और उनका खुद का कारोबार है. प्रशांत किशोर की दो बहनें भी हैं. पिता डॉ. श्रीकांत पांडे सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद बक्सर में ही अपनी क्लिनिक चलाते हैं. 
  3. प्रशांत किशोर की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बिहार में ही हुई और बाद में वे इंजीनियरिंग करने हैदराबाद चले गए. यहां तकनीकी शिक्षा हासिल की. इसके बाद उन्होंने यूनिसेफ (UNICEF) में नौकरी ज्वाइन की और ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला. 
  4. यूनिसेफ के साथ काम करने के बाद साल 2011 में प्रशांत भारत लौटे और गुजरात के चर्चित आयोजन 'वाइब्रैंट गुजरात' से जुड़े. इस आयोजन की ब्रांडिंग आदि का जिम्मा खुद संभाला और यह बेहद सफल रहा. 
  5. कहा जाता है कि 'वाइब्रैंट गुजरात' के आयोजन के दौरान ही उनकी राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जान-पहचान हुई और फिर प्रशांत किशोर ने मोदी के लिए काम करना शुरू किया. 
  6. प्रशांत किशोर की असली पहचान साल 2014 के लोकसभा चुनावों से बनी. इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के लिए काम किया और भाजपा की प्रचंड जीत के लिए प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति को श्रेय दिया गया. 
  7. कहा जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के चुनाव प्रचार के दो अहम अभियान, 'चाय पर चर्चा' और 'थ्री-डी नरेंद्र मोदी'  के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था. ये दोनों अभियान काफी सफल रहे और बीजेपी सत्ता तक पहुंची. 
  8. हालांकि 2014 में जीत के बाद प्रशांत किशोर की भाजपा से दूरी बढ़ गई और वे बिहार की तरफ मुड़े. साल 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव में प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के लिए काम किया और यहां भी वे करिश्मा दिखाने में सफल रहे.
  9. इस चुनाव के बाद प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ी और दोनों लोग कई जगह साथ दिखे. हालांकि जब नीतीश कुमार फिर बीजेपी के साथ आए तो प्रशांत से खटास की भी खबरें सामने आईं. 
  10. इस बीच अलग-अलग चुनावों में प्रशांत के अलग-अलग दलों के साथ काम करने की चर्चाएं भी चलती रहीं. फिर राजनीति में आने की खबर आई और आज प्रशांत किशोर बिहार से अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं. 
     

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