जापान के होंशू द्वीप के कंसाई क्षेत्र में स्थित माउंट ओमाइन सदियों से पूजित है। यूं तो इस पर्वत का आधिकारिक नाम माउंट सांजो है, लेकिन स्थानीय लोगों में यह माउंट ओमाइन के नाम से लोकप्रिय है।
दसवीं शताब्दी से पूजित है माउंट ओमाइन...
यह पर्वत इस देश के एक लोकधर्म ‘शुगेंदो’ के अनुयायियों द्वारा काफी पवित्र माना जाता है। माउंट ओमाइन को दसवीं शताब्दी में जापान एक एक सबसे पवित्र पर्वत का दर्जा हासिल हुआ था।
1300 सालों से महिला प्रवेश है निषिद्ध...
एक पवित्र और पूजित स्थल होने के बावजूद यहां लगभग 1300 सालों से महिलाओं को आने की इजाज़त नहीं है, जैसे कि भारत में सबरीमाला, शनि शिंगनापुर आदि मंदिरों महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध है।
वजह: साधनारत भिक्षुओं का ध्यान हो सकता है भंग...
पारंपरिक रूप से माउंट ओमाइन पर बौद्ध भिक्षु ध्यान मग्न रहते हैं। माना जाता है कि महिलाओं के आने से इन साधनारत भिक्षुओं का ध्यान भंग हो सकता हैं। इसलिए यहां महिलाओं के आने पर पाबंदी है।
मानवाधिकार का उल्लंघन है यह प्रतिबंध: मानवाधिकार संगठन
हालांकि भारत की तरह यहां भी मानवाधिकार संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध मानवाधिकार का उल्लंघन है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि माउंट ओमाइन के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए वर्ष 2004 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है।
दसवीं शताब्दी से पूजित है माउंट ओमाइन...
यह पर्वत इस देश के एक लोकधर्म ‘शुगेंदो’ के अनुयायियों द्वारा काफी पवित्र माना जाता है। माउंट ओमाइन को दसवीं शताब्दी में जापान एक एक सबसे पवित्र पर्वत का दर्जा हासिल हुआ था।
1300 सालों से महिला प्रवेश है निषिद्ध...
एक पवित्र और पूजित स्थल होने के बावजूद यहां लगभग 1300 सालों से महिलाओं को आने की इजाज़त नहीं है, जैसे कि भारत में सबरीमाला, शनि शिंगनापुर आदि मंदिरों महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध है।
वजह: साधनारत भिक्षुओं का ध्यान हो सकता है भंग...
पारंपरिक रूप से माउंट ओमाइन पर बौद्ध भिक्षु ध्यान मग्न रहते हैं। माना जाता है कि महिलाओं के आने से इन साधनारत भिक्षुओं का ध्यान भंग हो सकता हैं। इसलिए यहां महिलाओं के आने पर पाबंदी है।
मानवाधिकार का उल्लंघन है यह प्रतिबंध: मानवाधिकार संगठन
हालांकि भारत की तरह यहां भी मानवाधिकार संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध मानवाधिकार का उल्लंघन है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि माउंट ओमाइन के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए वर्ष 2004 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है।
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