विज्ञापन
This Article is From Nov 22, 2016

सम्पूर्ण भारत में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का एक मंदिर 'पुष्कर' में ही क्यों है...

सम्पूर्ण भारत में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का एक मंदिर 'पुष्कर' में ही क्यों है...
फाइल फोटो
ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जिन्हें त्रिदेव कहा जाता है, उनमें ब्रह्मा सृष्टि के रचनाकार, विष्णु जगत के पालनहार और महेश यानी शिव संसार संहारक हैं. भारत में विष्णु और शिव के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन ब्रह्मा जी का सम्पूर्ण भारत में केवल एक मंदिर है.

ब्रह्मा जी का यह मंदिर राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्थित है. ब्रह्मा जी के मंदिर और पूजा न होने की वजह उन्हें उनकी ही पत्नी सावित्री का दिया शाप माना जाता है. इसका वर्णन पद्म पुराण में मिलता है.

क्यों दिया सावित्री ने ब्रह्मा जी को शाप

पद्म पुराण के अनुसार एक समय धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने आतंक मचा रखा था. उसके बढ़ते अत्याचारों से जनता को त्राहिमाम देख ब्रह्मा जी ने उसका वध किया.

राक्षस का वध करते वक़्त ब्रह्माजी के हाथों से तीन जगहों पर कमल का पुष्प गिरा, जहां तीन झीलें बनी. उस घटना के बाद उस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा.

इस घटना के बाद ब्रह्मा ने जगत कल्याण के लिए वहां (पुष्कर) में एक यज्ञ करने का निर्णय लिया. वे यज्ञ करने हेतु पुष्कर पहुंच गए.

पत्नी के बिना पूरा नहीं होता है यज्ञ
चूंकि कोई भी यज्ञ पत्नी के बिना पूरा नहीं हो सकता, इसलिए देवी सावित्री का उसमें सम्मिलित होना जरूरी था. लेकिन किसी कारणवश सावित्री वहां समय पर नहीं पहुंच सकी.

उनके नहीं पहुंचने के कारण ब्रह्मा जी वहां के एक समुदाय की एक कन्या ‘गायत्री’ से विवाह कर यज्ञ शुरू किया. जब देवी सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं.

उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी. सावित्री के इस रुप को देखकर सभी देवता लोग डर गए. उन्होंने उनसे विनती की कि अपना शाप वापस ले लीजिए.

विष्णु को भी मिला शाप
जब देवी सावित्री का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में ब्रह्मा जी की पूजा होगी. कोई भी व्यक्ति, देव, गन्धर्व यदि दूसरा ब्रह्मा मंदिर बनवाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा.

उल्लेखनीय है कि यज्ञ के आयोजन में भगवान विष्णु ने भी ब्रह्मा जी की मदद की थी. इसलिए देवी सावित्री ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा.

इसी कारण राम (भगवान विष्णु का मानव अवतार) को जन्म लेना पड़ा और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
गणेश भगवान की पूजा में बप्पा को लगाएं इन 7 चीजों का भोग, खुश होंगे गणपति
सम्पूर्ण भारत में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का एक मंदिर 'पुष्कर' में ही क्यों है...
क्यों नहीं कांवड़िए यात्रा के दौरान लेते हैं एक दूसरे का नाम, जानिए आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन
Next Article
क्यों नहीं कांवड़िए यात्रा के दौरान लेते हैं एक दूसरे का नाम, जानिए आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com