जो अक्सर वृन्दावन जाते हैं, उन्हें यहां के निधिवन के बारे में जरूर पता होता है, कि यह वही वन है, जहां भगवान श्री कृष्ण ने द्वापरयुग में राधा और गोपियों के संग रास रचाया था.
निधिवन, वृंदावन में यमुना नदी के चीरघाट के पास ही स्थित है. इस वन का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. यहां श्री राधारानी की अष्टसखियों में प्रधान ललिता सखी ने भी अवतार लिया था.
रात में इस निधिवन में रुकना या जाना मना है. इसके लिए बाकायदा यहां बैरिकेड कर दी जाती है. लेकिन क्यों?
इस क्यों का जवाब मथुरा-वृन्दावन के बड़े-बुजुर्ग देते हैं. लोगों की मानें तो आज भी भगवान श्री कृष्ण यहां गोपियों संग रासलीला रचाते हैं, जो मनुष्यों को देखना निषिद्ध है यानी मना है.
लोग बताते हैं कि जो भी इस रासलीला की महज एक झलक भी देख लेता है, वह विक्षिप्त यानी पागल हो जाता है. यही कारण है संध्या होने के बाद निधिवन में जाना पूरी तरह से निषेध किया गया है.
और तो और, लोग बताते हैं कि रात के समय निधिवन के आस-पास पशु-पक्षी भी नहीं रहते हैं. निधिवन की एक और खासियत यहां के पेड़ हैं, जो अद्भुत हैं. यहां पेड़ की शाखाएं ऊपर की ओर न बढ़कर नीचे की ओर बढ़ती हैं.
निधिवन में ही श्री राधाजी एक मंदिर है. जो चोर राधारानी मंदिर के नाम से पूजित है. यहां एक पवित्र कुंड भी है, जो विशाखा कुंड के नाम से जाना जाता है.
निधिवन, वृंदावन में यमुना नदी के चीरघाट के पास ही स्थित है. इस वन का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. यहां श्री राधारानी की अष्टसखियों में प्रधान ललिता सखी ने भी अवतार लिया था.
रात में इस निधिवन में रुकना या जाना मना है. इसके लिए बाकायदा यहां बैरिकेड कर दी जाती है. लेकिन क्यों?
इस क्यों का जवाब मथुरा-वृन्दावन के बड़े-बुजुर्ग देते हैं. लोगों की मानें तो आज भी भगवान श्री कृष्ण यहां गोपियों संग रासलीला रचाते हैं, जो मनुष्यों को देखना निषिद्ध है यानी मना है.
लोग बताते हैं कि जो भी इस रासलीला की महज एक झलक भी देख लेता है, वह विक्षिप्त यानी पागल हो जाता है. यही कारण है संध्या होने के बाद निधिवन में जाना पूरी तरह से निषेध किया गया है.
और तो और, लोग बताते हैं कि रात के समय निधिवन के आस-पास पशु-पक्षी भी नहीं रहते हैं. निधिवन की एक और खासियत यहां के पेड़ हैं, जो अद्भुत हैं. यहां पेड़ की शाखाएं ऊपर की ओर न बढ़कर नीचे की ओर बढ़ती हैं.
निधिवन में ही श्री राधाजी एक मंदिर है. जो चोर राधारानी मंदिर के नाम से पूजित है. यहां एक पवित्र कुंड भी है, जो विशाखा कुंड के नाम से जाना जाता है.
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